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प्रेक्षा : जीवन का विज्ञान
तनाव की समस्या
तनाव यांत्रिक युग की देन है। मानव जाति तनाव से ग्रसित हो रही है। आज बालक से लेकर वृद्ध तक इस पीड़ा से पीड़ित हैं। आज तनाव दैनिक चर्या का अंग बन गया है। आदर्श और व्यवहार में सामंजस्य नहीं बैठ रहा है। व्यक्ति में असहिष्णुता बढ़ रही है। उससे परिवार, समाज और राष्ट्र में संघर्ष की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं। कोई भी व्यक्ति सहने को तैयार नहीं है। परिणामतः व्यक्ति निराश और व्याधियों से पीड़ित हो, डॉक्टरों के इर्द-गिर्द समाधान के लिए चक्कर काटता है। प्रतिरोधी और नशीली औषधियों से परेशान हो अपने आप को भुलाने के लिए मादक द्रव्यों का आसेवन करने लगता है। इससे समस्या के समाधान के बजाय कठिनाइयां बढ़ने लगती हैं। व्यक्ति मानसिक विकृतियों का शिकार बन कर आत्महत्या करने तक की सोचने लगता है। बढ़ती हुई आत्महत्याओं के पीछे मुख्य रूप से तनावों का हाथ है। प्रेक्षा आशा किरण ___ व्यक्ति चिंतित हैं, परिवार परेशान है, समाज संकटग्रस्त है, धार्मिक लोग भी चिंतित हैं कि उसका समाधान कैसे निकले। उनको निराशा और अन्धकारमय भविष्य के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखाई दे रहा है। निराशा और पीड़ा से पीड़ित इस वातावरण में प्रेक्षा-ध्यान आशा की किरण है। प्रेक्षा जीवन विकास की सर्वांगीण प्रक्रिया है। प्रेक्षा महावीर वाणी, प्राकृत शब्द 'पेहा' से लिया गया है जिसका संस्कृत रूप प्रेक्षा है। प्रेक्षा का तात्पर्य है, गहराई से देखना, अनुभव करना।
किसे देखें ? कैसे अनुभव करें ? किसका साक्षात् करें ?
स्वयं को देखें, स्वयं का अनुभव करें और स्वयं के स्वरूप का साक्षात् करें ?
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