SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चातुर्मासमा चालु रयुं । आ हस्तलिखित ग्रन्थोने कवर-पूठां चढाववा माटेना लगभग ८१) एक्यासी रुपीयाना बे रीम कागळो पाटणवाळा चीमनलाल पोपटलाल शाहे आप्या हता। अन्धेरीमांना शेठ भो. ल. ने बंगलेथी विहार करीने वीलापार्लाना शेठ करमचन्द जैन पौषधशाळामां आव्या, चैत्र मासनी ओळी नजीकमां ज आवती होवाथी तेनी आराधना कराववा माटे त्यांना श्रावकोनो आग्रह थवाथी अमे त्यां ज रोकाया, अने आयंबीलनी ओळीनुं सामुदायिक आराधन विधिपूर्वक कराव्यु; तेमां नाना मोटा श्रावक-श्राविकाओ सारा प्रमाणमा जोडाया हतां । __वै. सु. ७ने दिवसे करमचन्द हॉलमांथी विहार करीने सान्टाक्रूझ, दादर अने भायखले रोकाइने श्रीगोडीजीनी पेढीना ट्रस्टी बबलचन्द केशवलाल प्रेमचन्द मोदीनी विनंतिथी पायधुनी उपर गोडीजीने उपाश्रये · आववानुं थयु, अने पूज्य पंन्यासजीनुं व्याख्यान चालु थयुं । गह सालमा बन्दर उपर थयेला अकस्मातमां सपडायलाओने मदद आपवा माटे आ उपाश्रयमां एक राहतकेंद्र खोलवामां आव्यु हतुं, ते राहतकेंद्रनो रिपोर्ट संभळाववानुं तेना कार्यवाहकोए पूज्यश्रीना वै. ब. ८ना व्याख्यानमा राख्यु हतुं, ते अवसरे कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्रसूरीश्वरजीए करेली महाश्रावकपणानी व्याख्याने अनुसरीने पूज्यश्रीए पण जणाव्युं हतुं के " संकटमां सपडायेला जैन-जैनेतरोने तन, मन अने धनथी बनी शकती मदद आपवी ए श्रावकनुं कर्तव्य छे, एवी राहत आपवाथी श्रावकपणाने कांइ पण बाध आवतो नथी, उलटुं सेवा प्रसंगमा छती शक्तिए मदद नहि आपे तो पोतानी फरजथी चूक्यो गणी शकाय छे.” पूज्य पंन्यासप्रवरनी, पं. देवेन्द्रसागरजीनी, पं. हीरसागरजीनी, ज्ञानसागरजीनी अने चन्द्रकान्तसागरजीनी आंखो तपासवानी हती, तेथी कांइ पण फी लीधा वगर आंखना प्रसिद्ध डॉक्टर चीमनलाल श्रॉफे तपासीने योग्य उपचारनी सूचना आपी हती। अन्धेरीना करमचन्द हॉलमां अमारा चातुर्मासनो निर्णय थयेलो होवाथी श्रीगोडीजीने उपाश्रयेथी जे. व. २ने दिवसे विहार करीने भायखला, दादर अने सान्टाक्रूझमा मुकाम करतां करता जे. व. १२ने रोज अन्धेरीना स्टेशन पासे परसोतमदास चोळीआना बंगलामा अमारो मुकाम थयो। जे. व. १३नी सवारे गुरुपूजन थया पछी मंगलिक संभळावीने त्यांथी विहार करी साडा नव वागतां १ पूज्य पंन्यासप्रवर, २ पं. हीरसागरजी, ३ (हुँ) चन्द्रकान्तसागरजी, ४ श्रीचन्द्रप्रभसागर, ५ श्रीचन्द्रवर्मसागर अने ६ श्रीमहाप्रभसागर ठाणा छनो अन्धेरीना करमचन्द हॉलमा चातुर्मासार्थे प्रवेश थयो; अने साथे रहेला पं. श्री देवेन्द्रसागरजी आदिनो सान्टाक्रूझना उपाश्रयमां चातुर्मासार्थे प्रवेश थयो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy