SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अन्धेरीनुं चातुर्मास. वि. सं. २००१. ठि. करमचंद जैन पौषधशाळा घोडबन्दररोड, वीलापार्ला, मुंबई नं. २४ नोंधः-हस्तलिखित प्रन्थोद्वाराए ज्ञानभण्डारनी वृद्धि अने ते ते प्रन्थोनी सम्पूर्ण सूचिपत्रक. संचयकारप्रातःस्मरणीय पू. आगमोद्धारक आचार्य श्रीआनन्दसागरसूरीश्वरना विद्वान् शिष्य-वैयाकरणकेसरी सिद्धचक्राराधन तीर्थोद्धारक पू. पंन्यासप्रवर श्रीचन्द्रसागरगणीन्द्रना चरणारविन्दचञ्चरीक-शिष्य चन्द्रकान्तसागर. चातुर्मासनो पूर्वरंग याने शासनहित कार्योनी शरुआत. संघवी चुनीलाल लक्ष्मीचन्दना आग्रहथी मा. व. ४ ने दिवसे अमे अन्धेरी आवी गया, तेथी तेमने घणो ज सन्तोष थयो अने मा. व. ५ ने रोज करवा धारेला उत्सवना उस्साहमां घणो ज वधारो थयो । का. व. ५ ने दिवसे सवारमा रथयात्रानो वरघोडो संघवी चु. ल. तरफथी काढवामां आव्यो हतो, त्यार पछी शुभ मुहूर्त्तमां तेमना मन्दिरमा श्रीपार्श्वनाथ भगवाननी बे प्रतिमाओ पधराववानी हती, ते पधराव्या बाद पूज्य पन्यासप्रवर आदि साधु समुदाये वासक्षेप को हतो। संघवी चु. ल. ना मन्दिरमा मूळनायक तरीके श्रीश्रेयांसनाथप्रभु बिराजमान होवाथी कलिकालसर्वज्ञ-भगवाने त्रिषष्टिशलाका-पुरुष-चरित्रमा करेला श्रीश्रेयांसनाथप्रभुना सम्बन्धना वर्णननुं भाववाही आलेखन अने केटलुक काचनुं काम कराववा बाबतना पूज्यश्रीना उपदेशथी संघवी चु. ल. भाईए ते बन्ने काम रु. ३५००) साडात्रण हजार उपरांत खर्चीने कराव्यां । मा. व. ९-१०-११ ना त्रण दिवसोमां श्रीपार्श्वनाथना जन्मकल्याणकनी विधिपूर्वकनी आराधनामां पचीसेक माणसो जोडायां हता, ते बधाने जूदी जूदी व्यक्तिओ तरफथी एकासणां करावायां हता; अने दशमने दिवसे जन्मकल्याणकनो वरघोडो पण काढवामां आव्यो हतो। त्यार पछी पूज्य पंन्यासप्रवरनी तबीयत नरम थइ गइ हती। दशेक दिवस बाद तबीयतमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy