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________________ परन्तु पोतानी तबीयत बराबर ठीक रहेती न होवाथी · पोतानी अशक्ति जणावीने पं. श्री चन्द्रसागरजी आदिनी हाजरीथी ज सन्तोष मानीने ठाठमाठथी महोत्सवने उजवशो' एम जणाव्युं । त्यार पछी पूज्यपाद आचार्यदेवनी साथे ज कोटमाथी विहार करीने लालवाडी आव्या अने रात रहीने बीजे दिवसे विहार करी का. व. १३ ने दिवसे घाटकोपरमां आवी शेठ देवजी टोकरशीना आग्रहथी तेमना बंगलामा उतर्या । त्यां बे दिवस व्याख्यान, पूजा अने प्रभावना थया बाद मा. सु. १ ना रोज उपाश्रयमां अमारा सर्व साधुओर्नु आगमन थयु । मा. सु. २ थी १० सुधीना आठ दिवसमां अट्ठाईमहोत्सव, अढार अभिषेक, अष्टोत्तरी स्नात्र अने प्रभावना थयां हता; आठ दिवसनी आंगी, पूजा, अभिषेक अने स्नात्र सम्बन्धि जूदी जूदी बोलीओना घी मण २४७७ ना रु. त्रणनो भाव होवाथी आसरे रु. ७४३१) सातहजार चारसोने एकत्रीस लगभगनी देवद्रव्यमां आवक थइ हती। पूज्य-पंन्यासप्रवर-गुरुवर्य श्रीचन्द्रसागरजी गणिवरना तप अने चारित्रना पुण्य-प्रभावथी घाटकोपरना चातुर्मासमां मुख्यतया उपर जणावेलां शासनहितवर्धक-कार्यो सुश्रावकोना सहकारथी थयां हतां । अन्धेरीमा आवेला पोताना घर देरासरनी वर्षगांठ मा. व. ५ नी हती ते प्रसंगे अन्धेरीना करमचन्द हॉलमां पधारवा माटे जामनगरना नगरशेठ संघवी पोपटलाल धारशीभाईना भत्रीजा संघवी चुनीलाल लक्ष्मीचंद तरफथी घणो आग्रह थवाथी मा. व. ४ ने दिवसे अन्धेरी जवा माटे घाटकोपरथी अमे विहार कर्यो । घाटकोपरनो संघसमुदाय दूर सुधी वळाववा आव्यो हतो, रस्तामां मांगलिक संभळाव्या पछी ते समुदाय घाटकोपर गयो; अने अमे बधा अन्धेरीमां श्रेष्ठि मणिलाल करमचंदे बंधावेला " शेठ करमचंद जैन पौषधशाळा " ना नामथी ओळखाता घोडबन्दररोड उपर वीलापार्लानी हदमा आवेला उपाश्रयमा जइने उतर्या । श्रावक-श्रावकाने मंगलिक संभळाव्यु, संभळाव्या पछी सौ विसर्जन थयां । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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