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________________ चातुर्मास इन्दोरमां करवानी आग्रहपूर्वक विनंति करी, जवाबमा पूज्यश्रीए जणाव्युं जे " पूज्यआचार्यदेवनी आज्ञा छे के चातुर्मास मुम्बईमा ज करवानुं छे, छतां पण कोई संयोगवशात् जो माळवामां ज रहेवार्नु थशे तो तमारी विनंतिने सफळ करवानुं लक्ष्यमा राखशुं" आवो जवाब सांभळीने खूश थयेलो इन्दोरनो संघ पूज्य पंन्यासजीनी प्रतिकृतिने इन्दोरना उपाश्रयमा दर्शनार्थे मूकवानुं जणावीने इन्दोर रवाना थयो। बेटमाथी विहार कर्यो, त्यारे एक मुकाम सुधी अमने कळाववा बेटमानो संघ आव्यो । बीजो मुकाम अमारो गुणावदमां थयो त्यो धारना संघना माणसो सामा आव्या हता । बीजे दिवसे अक्षयतृतीयाने रोज शासननी प्रभावना वधे एवी रीते राज्यना बेंड विगेरे सामग्रीओ सहित वाजते-गाजते धारमा अमारो प्रवेश थयो । आ शहेर धार स्टेटनी राजधानी होवा छतां जैन श्वे. ना घरो अहीं २५) ज छे, छतां सामैयामां थयेली गहुंलीयोमा रु. २५) पचीसनी आवक थइ हती। वै. सु. ६ नी प्रतिष्ठामा लाभ लेवा माटे उज्जैनना केसरीमलजी जेठमलजी, छगनीरामजी मगनीरामजी, सीतारामजी भंवरलालजी अने नन्दरामजी बागमलजी खाबीयाने, बडनगरना कनकमलजी चोधरीने, रतलामना रतिचन्दजी बोराणा, श्रीऋषभदेवजी केसरीमलनी पेढीने; अने इन्दोरना नथमलजी शेखावत, लालचन्दजी नागोरी, नेमचन्दजी ओसवाल, घेवरमलजी अने कलैयालालजी भंडारीने; धारना श्रीसंघ तरफथी तार करवामां आव्या हता तेथी प्रतिष्ठा प्रसंगे धारवा करतां जैनोनी उपस्थिति सारा प्रमाणमां थइ हती। आ प्रतिष्ठाना प्रसंग उपर श्रीपार्श्वनाथ भगवानने गादीनशीन करवा विगेरेनी बोलीनी उपज रु. ३८९१) आडत्रीसो एकाणुनी थइ हती। धारमा आवतां जतां साधु-साध्वीओने पडती विहारनी मुश्केलीओने टाळवा अने विहारमा सहायता करवा माटे फंड करवानो उपदेश आपता रु. १६५१) सोळसो एकावननी टीप थइ । शान्तिस्नात्र तथा आरति पूजानी बोलीना रु. ३००) त्रणसोनी आवक भंडारमा थइ । धार शहेरमां पोरवाडोना निवास गणाता बनीयावाडमां थइने पशु-पंखीने लइने जवानी कोई पण मांसाहारीने घणा काळथी राज्य तरफथी मनाइ छे, कदाच कोई भूलथी पण लइ जाय तो ते 'पशु-पंखीओने वगर किंमते पांजरापोळमां आपी देवां पडे छे' एवो परवानो मळेलो छे, ते नियमना पालननी देखरेख धारनु · जीवदयामंडळ' करे छे तेनी तथा पांजरापोळनी मदद माटेनी टीपमा रु. २०००) बे हजारनी रकम भराइ हती। ___धारनी प्रतिष्ठाना प्रसंग उपर आजुबाजुना पचीसेक गामोना माणसो आव्या हता, तेओने जमवा माटे आठ दिवस सुधी रसोडुं चालु हतुं । प्रतिष्ठाना महोत्सवने अंगे रथयात्राना बे वरघोडा काढवामां आव्या हता, अने नवकारशीना त्रण जमण थया हतां। आ प्रतिष्ठाना प्रसंगे रात्रिजगा विगेरेमां भाग लेनारी श्राविकाने दरेक ल्हाणीमां वाटकी, पवाला, कप, रकाबी अने थाळी-खूमचा आसरे रु. दशेकनी किंमतना मळ्यां हतां । कोई पण मन्दिर उपर कळश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003041
Book TitleSiddha Hemchandra Shabdanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1948
Total Pages396
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size21 MB
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