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(१३) रए ॥अथ अरिदंतचेझ्याणंसुत्तं ॥
अरिदंतचेश्याणं, करेमि कानस्सग्गं ॥ १॥ वंदणवत्तिआए, पूअणवत्तिाए, सकारवत्तिाए, सम्माणवत्तिआए, बोदिलानवत्तिाए, निरुवसग्गवत्तिाए ॥२॥ सहाए मेहाए घिईए धारणाए अणुप्पेदाए वडमाणीए गमि काउस्सग्गं ॥३॥ अन्नत्थ० ॥ इति ॥१५॥ संपदा [३] पद [१५] गुरु [१६] बघु [७३] सर्ववर्ण [ए]
२०॥ अथ कल्लाणकंदंस्तुतिः॥ __ कल्लाणकंदं पढमं जिणिदं, संतिं त नेमिजिणं मुणिंद, पासं पयासं सुगणिकगणं ॥ नत्ती वंदे सिरिवक्ष्माणं ॥१॥ अपारसंसारसमुद्दपारं, पत्ता सिवं दिंतु सुश्कसारं ॥ सवे जिणिंदा सुरविंदवंदा ॥ कल्लाणवल्लीण विसालकंदा ॥२॥ निवाणमग्गे वरजाणकप्पं, पणासियासेसकुवा
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