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जयन सामिय, रिसद सत्तुंजि ॥ उति पहु नेमिजिए, जयन वीर सच्चरिमंड ॥ नरुच्चदिं मुणिमुवय, मुदरिपास उदरअखं ॥ वरविदेदिं तित्थयरा, चिहुं दिसि विदिसि जिं केवि ॥ ती प्राणागयसंपइ, वंदू जिए सवेवि ॥ ३ ॥ सत्तावइसदस्सा, लका उप्पन्न कोडि ॥ बत्तिसय बासिच्चाई, तिच्लोए चेइए वंदे ॥ ४ ॥ पनरसको डिसयाई, कोडिबा - याल लरक अडवन्ना ॥ बत्तीससदस सिई, सासयबिंबाई पणमामि ॥ ५ ॥ इति ॥ ११ ॥
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१२ ॥ चप्रथ जंकिंचित्तं ॥
॥ जं किंचि नाम तित्यं, सग्गे पायालि माणुसे लोए ॥ जाईं जिणबिंबाई, ताई सवाई वंदामि ॥ १ ॥ इति ॥ १२ ॥ गाथा [१]पद[४] संपदा[४]गुरु [३] लघु[२७]सर्ववर्ण [३२]
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