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पाखि न उलखी, जीव बहुलां कीधां पाप ॥ जीव सुमतिविजय मुनि एम जणे, जीव आवागमन निवार ॥ जी ॥६॥ इति ॥ए॥
॥ अथ नाथी मुनिनी सज्जाय ॥ ॥ श्रेणिक रयवाडी चड्यो, पेखीयो मुनि एकंत ॥ वररूप कांते मोदिर्ज, राय पूवेरे कहोने विरतंत ॥ १ ॥ श्रेणिकराय हुंरे
नाथी निग्रंथ ॥ ति में लीधोरे साधुजीनो पंथ ॥ श्रेणिक० ॥ एकणी ॥ इणे कोसंबी नयरी वसे, मुऊ पिता परिघल धन ॥ परिवार पूरे परिवय, हुं हुं तेदनोरे पुत्र रतन ॥ ० ॥ २ ॥ एक दिवस मुज वेदना, उपनी में न खमाय ॥ मात पिता झरी मेरे, पण समाधि किणे नवि थाय ॥ श्रे० ॥ ३ ॥ गोरडी गुणमणि - रडी, चोरडी प्रवला नार ॥ कोरडी पीडा में सदी, कोणे न कीधी मोरडी सार ॥
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