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( ७२० )
थोकडा संग्रह।
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पुद्गल क्षेत्रापेक्षा सर्व से कम तीन लोक में उनसे ऊर्ध-ती लोक में अनं० गुण। उनसे आधो-तीर्छ लोक में विशेष लोक में उनसे तीळ "" असं० उन से ऊर्ध्व लोक में असं० गुणा उन से अधो लोक में विशेष ।
द्रव्य क्षेत्रापेक्षा ___ सर्व से कम तीन लोक में उनसे ऊर्ध-तीछे लोक में अनंत गुणा उनसे अधा ती लोक में विशेष उनसे ऊध लोक में अनंत गुणा उन से अधो तीर्छ लोक में अनंत गुणा उनसे ऊध्ये ती लोक में अनंत गणा ।
पुद्गल दिशापेक्षा सर्व से कम ऊर्ध्व दिशा में उनसे अधो दिशा में विशेष उनसे ईशान नैऋत्य कोन में असं० गुणा उनसे अग्नि कायव्य कोन में विशेष उनसे पूर्व दिशा में असं० गुणा उनसे पश्चिम दिशा में विशेष । उनसे दक्षिण दिशा में विशेष और उनसे उत्तर दिशा में विशेष युद्गल जानना ।
द्रव्य क्षेत्रापेक्षा सर्व से कम द्रव्य अधो दिशा में उनसे ऊर्ध्व दिशा में अनन्तगुणा उन से ईशान नैऋत्य कोन में अनन्तगुणा उन से अग्नि वायु कोन में विशेष उन से पूर्व दिशा में असंख्यात गुणा उन से पश्चिम दिशा में विशेष उन से दक्षिण दिशा में विशेष उन से उत्तर दिशा में विशेष ।
॥ इति खेताणु वाई सम्पूर्ण ।।
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