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________________ ( ६८६ ) अनुमान प्रमाण- जो वस्तु अनुमान से जानी जावे इसके ५ भेद १ कारण से - जैसे घट का कारण मिट्टी हैं, मिट्टी का कारण घट नहीं | २ गुण से- जैसे पुष्प में सुगन्ध, सुवर्ण में कोमलता, जीव में ज्ञान । ३ श्रसरण - जैसे घूँवे से अग्नि, बिजली से बादल यदि समझना व जानना । ४ श्रवयवेणं- जैसे दंतूशल से हाथी चूडियों से स्त्री, शासन रुचि से समकिति जानना । दिहि सामन्न - सामान्य से विशेष को जाने जैसे १ रुपये को देख कर अनेक रुपये जाने । १ मनुष्य को देखने से समस्त देश क मनुष्यों को जाने । प्रमाण - नय / अच्छे बुरे चिन्ह देख कर तीनों ही काल के ज्ञान की कल्पना अनुमान से हो सकती है । उपमा प्रमाण - उपमा देकर समान वस्तु से ज्ञान (जानना) करना | इसके ४ भेद - ( १ ) यथार्थ वस्तु को यथार्थ उपमा ( २ ) यथार्थ वस्तु को यथार्थ उपमा (३) ययार्थ वस्तु को यथार्थ उपमा और ( ४ ) अ यथार्थ वस्तु को अयथार्थ उपमा | १० सामान्य विशेष - सामान्य से विशेष बलवान है । समुदाय रूप जानना सो सामान्य । विविध भेदानु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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