________________
वैमानिक देव ।
( ६७१ )
www
* वैमानिक देव
2
विमान वासी देवों के २७द्वार- १ नाम २ वसा ३ संस्थान ४ आधार ५ पृथ्वीपिण्ड ६ विमान ऊँचाई ७ विमान संख्या ८ विमान वर्ण ६ विमान विस्तार १० इन्द्र नाम ११ इन्द्र विमान १२ चिन्ह १३ सामानिक १४ लोक पाल १५ त्रयत्रिशंक १६ आत्म रक्षक ११ अनीका १८ परिषदा १६ देवी २० वैक्रिय २१ अवधि २२ परिचारण २३ पुन्य २४ सिद्ध २५ व २६ उत्पन्न २७ अल्प बहुत्व द्वार ।
Jain Education International
१ नाम द्वार - १२ देव लोक - सौधर्म ईशान, सनत्कुमार, महेन्द्र ब्रह्म, लंतक, महाशुक्र, सहस्रार आणत प्राणत, आरण, अच्युत नव ग्रीयवेक-मंद, सुभद्दे, सुजाने सुमानसे, सुदर्शने, प्रियदंसणं, अमोठे, सुप्रतिबद्ध और यशोधरे ५ अनुतर -विमान-विजय, विजयंत जयंत, अपराजित, और सर्वार्थसिद्ध, पाचवें देव लोक के तीसरे परतर में नव लोकांतिक देव हैं और ३ किल्विषी मिल कर कुछ ३८ जाति के वैमानिक देव हैं ।
२ वासा द्वार - ज्योतिषी देवों से असंख्य कोड़ा कोड यो० ऊँचा वैमानिक देवों का निवास है । राजधानियें और ५ ५ सभाएं अपने देवलोक में ही हैं । शकेन्द्र, ईशानेन्द्र के महल, उनके लोकपाल और देवियों की राजधानियें तीर्थे लोक में भी हैं ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org