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________________ ( ६५४) थोकडा संग्रह। भवनपति विस्तार भवनपति देवों के २१ द्वार-१ नाम २ बासा ३ राजधानी ४ सभा ५ भवन संख्या ६ वर्ण ७ वस्त्र ८ चिन्ह ६ इन्द्र १० सामानिक ११ लोकपाल १२ त्रयस्त्रिंश १३ आत्म रक्षक १४ अनीका १५ देवी १६ परिषद १७ परिचारणा १८ वैक्रिय १६ अवधि २० सिद्ध २१ उत्पन्न द्वार। १ नाम द्वार-१० भेद-१ असुर कुमार २ नाग कुमार ३ सुवर्ण कुमार ४ विद्युत कुमार ५ अग्नि कुमार ६ द्वीप कुमार ७ दिशा कुमार ८ उदधि कुमार ६ वायु कुमार १० स्तनित् कुमार । २ वासा द्वार-पहेली नरक के १२ आन्तराओं में से नीचे के १० आन्तराओं में दश जाति क भवनपति रहते हैं। ३ राजधानी द्वार-भवनपति की राजधानी तिर्छ लोक के अरुण वर द्वीप-समुद्रों में उत्तर दिशा के अन्दर 'अमर चंचा ' बलेन्द्र की राजधानी है और दूसरे नवनिकाय के देवों की भी राजधानियें हैं । दक्षिण दिशा में • चमर चंचा' चमरेन्द्र की और नव निकाय के देवों की भी राजधानियें हैं। ४ सभा द्वार-एकेक इन्द्र के पांच सभा हैं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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