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(६२८)
थोकडा संग्रह।
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भी सरस आहार निमित निमंत्रण आने पर रस
लोलुपता से सरस आहार ले लेवे तो। श्री उत्तराध्ययन सूत्र में बताये हुवे २ दोष। [१] अन्य कुल में से गोचरी नहीं करते हुवे अपने
सजन सम्बन्धियों के यहीं से गोचरी करे तो। [२] बिना कारण आहार ले और बिना कारण
आहार त्यागे । ६ कारण स आहार लेवे ६ कारण से आहार छोड़े क्षुधा वेदनी सहन नहीं होनेसे रोगादि होजाने से प्राचार्यादि की वैयावच हेतुसे उपसर्ग आने से ईर्या शोधने के लिए ब्रह्मचर्य के नहीं पलने पर संयम निर्वाह निमित जीवों की रक्षा के लिए जीवों की रक्षा करने के लिए तपश्चर्या के लिए धर्म कथादि कहने के लिए अनशन[संथारा] करने के लिए श्री दशवकालिक सूत्र में बताये हुवे २३ दोष । [१] जहां नीचे दरवाजे में से होकर जाना पड़े वहां
गोचरी करने से [२] जहां अंधेरा गिरता होवे उस स्थान पर" " [३] गृहस्थों के द्वार पर बैठे हुवे बकरे बकरी । [४] बच्चे बच्ची। [५] कुत्ते। [६] गाय के बछड़े आदि को उलांघ कर जावे तो।
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