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आहार के १०६ दोष ।
( ६२५)
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(११) अभिद्रत-अन्य स्थान से सामने लाया हुवा (१२) भिन्न-कपाट चक आदि उवाड कर दिया हुवा (१३) मालोहड-माल ( मेढ़ी ) ऊपर से कठिनता से
उतारा जा सके वो। (१४) अच्छीजे निर्बल पर दबाव डाल कर बलपूर्वक
दिलावे वो। (१५) अणिसिडे-हिस्से की चीज में से कोई देना
चाहे कोई नहीं चाहे एसी वस्तु | (१६) अज्जोयर--गृहस्थ साधु निमित अपना आहार
अधिक बनाया हुवा होवे । (१७) धाइदोष- गृहस्थ के बच्चों को खेला कर लिया
हुवा। (१८) दुई दोष-दूतिपना ( समाचार आदि लाना व
लेजाना ) कर के लिया हुवा । (१६) निमित-भूत व भविष्य के निमित कह कर
लिया हुवा। (२०) आजीव-जाति कुल आदि का गौरव बता कर
लिया हुवा। (२१) वणी मग्ग-भिखारी समान दीनता से याचा
( मांगा ) हु।। (२२) तिगंछ--औषधि (दवा) आदि बताकर लि.
या हुवा।
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