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(६२४)
घोकडा संग्रह।
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आहार के १०६ दोष मुनि १०६ दोष टाल कर गोचरी करे यह भिन्न २ सूत्रों के आधार से जानना आचारांग, सूयगडांग तथा निशीथ सूत्र के आधार से ४२ दोष कहे जाते हैं। (१) प्राधाकर्मी- मुनि के निमित्त प्रारंभ करके
बनाया हुवा। (२) उद्देशिक-अन्य मुनि निमित्त बना हुवा आधा
की आहार । (३) पूति कम-निर्वद्य आहार में प्राधाकर्मी अंश
मान मिला हुवा होवे वो तथा रसोई में साधु
के निमित कुछ अधिक बनाया हुवा होवे । (४) मिश्र दोष-कुछ गृहस्थ निमित, कुछ साधु
निमित बनाया हुवा मिश्र अाहार । (५) ठवणा दोष-साधु निमित रक्खा हुवा आहार (६) पाहुड़िय-महेमान के लिये बनाया हुवा (साधु
निमित महेमानों की तिथि बदली होवे ) (७) पावर--जहां अन्धेरा गिरता होवे वहां साधु
निमित खिड़की आदि करा देवे । (८) क्रिय-साधु निमित खरीद कर लाया हुवा (६) पामिश्चे-साधु निमित उधार लाया हुवा (१०) परियड़े-साधु निमित वस्तु बदले में देकर
लाया हुवा।
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