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(६१८)
थोकडा संग्रह ।
(४) भाव से ममता रहित संयम साधन समझ कर भोगवे।
५ उच्चार पासवण खेल जल संघाण परिठावाणिया समिति के ४ भेद-(१) द्रव्य मलमूत्रादि १० प्रकार के स्थान पर बैठे नहीं (१ जहां मनुष्यों का प्रावन जावन हो २ जीवों की जहां घात होवे ३ विषम-ऊँची नीची भूमि पर ४ पोली भूमि पर ५ सचित्त भूमिपर ६ संकड़ी (विशाल नहीं) भूमि पर ७ तुरन्त की ( अभी की) अचित्त भूमि पर ८ नगर गाँव के समीप में 6 लीलन फूलन हावे वहां १० जीवों के बिल (दर) होवे वहां न वैठे ) (२) क्षेत्र से वस्ती को दुर्गछा होवे वहां तथा आम रास्ते पर न वेठे (३) काल से वेठने की भूमि को कालो काल पडिलेहण करे व पूंजे (४) भाव से वेठने को निकले तब श्रावस्तही ३ वार कहे वेठने के पहिले शकेन्द्र महाराज की आज्ञा मांगे वेठते समय वोसिरे ३ वार कहे और वेठ कर आते समय निम्सही ३ वार कहे जल्दी सूख जावे इस तरह वेठे।
३ गुप्ति के चार चार भेद । १ मन गुप्ति के ४ भेद-( १ ) द्रव्य से प्रारंभ समारंभ में मन न प्रवावे (२) क्षेत्र से समस्त लोक में (३) काल से जाव जीव तक (४) भाव से विषय
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