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________________ (५६०) थोकडा संग्रह। उपयोग अधिकार ( श्री भगवतीजी सूत्र शतक १३ उद्देशा १-२) उपयोग १२-५ ज्ञान, ३ अज्ञान और ४ दर्शन एवं १२ उपयोग में से जीव किस गति में कितने साथ ले जाते हैं, व लात हैं इसका वर्णन (१) १-२-३ नरक में जाते समय ८ उपयोग (३ ज्ञान, ३ अज्ञान, २ दर्शन-अचक्षु और अवधि ) लेकर अावे और ७ उपयोग लेकर (ऊपर में से विभंग छोड़ कर ) निकले ४.५.६ नरक में ८ उपयोग (ऊपरवत) लेकर आवे और ५ उपयोग (२ ज्ञान २ अज्ञान १ अचक्षु दर्शन ) लेकर निकले ७ वीं नरक में ५ उपयोग (३ ज्ञान २ दर्शन ) लेकर आवे और ३ उपयोग ( २ अज्ञान १ अचक्षु दर्शन ) लेकर निकले। (२) भवनपति, व्यन्तर, ज्योतिषी देव में ८ उपयोग (३ ज्ञान ३ अज्ञान २ दर्शन) लेकर आवे और ५ उपयोग (२ ज्ञान २ अज्ञान १ अचक्षु दर्शन ) लेकर निकले १२ दवलोक ग्रीयवेक में ८ उपयोग लेकर आवे और ७ उपयोग (विभंग ज्ञान छोडकर ) लेकर निकले अनुत्तर विमान में ५ उपयोग (३ ज्ञान २ दर्शन) लेकर भावे और येही ५ उपयोग लेकर निकले। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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