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________________ (५६८) थोकडा संग्रह। - चार ध्यान ध्यान के ४ भेद-आत, सेंद्र, धर्म और शुक्ल ध्यान (१) बात ध्यान के ४ पाये.-१मनोज्ञ वस्तु की अभिलाषा करे । २ अमनोज्ञ वस्तु का वियोग चिंतवे । ३ रोगादि अनिष्ट का वियोग चिंतये ४ पर भव के सुख निमित नियाणा करे। आर्त ध्यान के ४ लक्षण १चिंता शोक करना २ अश्रुपात करना ३ प्राकन्द (विलाप ) शब्द करके रोना ४ छाती माथा ( मस्तक ) आदि कूटकर रोना । (२) रौद्र ध्यान के ४ पाये-हिंसामें, झूठ में, चोरी में, कारागृह में कसाने में आनन्द मानना ( य पाप करके व कराकर के प्रसन्न होना )। रौद्र ध्यान के ४ लक्षण- १ तुच्छ अपराध पर चहुत गुस्सा करना, द्वेष करना ४ बड़े अपराध पर अत्यन्त क्रोध द्वेष करे । ३ अज्ञानता से द्वेष करे और ४ जावजीव तक द्वेष रक्खे । (३) धर्म ध्यान के ४ पाये-१वीतराग की आज्ञा का चितवन करे २ कर्म पाने के कारण ( भाव ) का विचार करे ३ शुभाशुभ कर्म विपाक को विचारे ४ लोक संस्थान (आकार ) का विचार करे । धर्म ध्यान ४ लक्षण-१ वीतराग प्राज्ञा की रुचि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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