________________
तायकर गात्र बान्धन के २० कारण ।
(५४७ )
१७ चतुर्विध संघ को शान्ति-समाधि (सेवा-शोभा) देने से १८ नया २ अपूर्व तत्व ज्ञान पढ़ने से । १६ सूत्र सिद्धान्त की भक्ति (सेवा) करने से। २० मिथ्यात्व नाश और समकित उद्योत करने से ।
जीव अनंतानंत कर्मों को खपाते हैं। इन सत्कार्यों को करते हुवे उत्कृष्ट रसायण ( भावना) भावे तो तीर्थकर गोत्र कर्म बान्धे ।
॥ इति तीर्थकर गोत्र बान्धने के २० कारण ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org