________________
(५४६)
थोकडा संग्रह।
तीर्थकर गोत्र ( नाम )
बान्धने के २० कारण (श्री ज्ञाता सूत्र, आठवां अध्ययन ) १ श्री अरिहंत भगवान् के गुण कीर्तन करने से२ श्री सिद्ध
" " ३ आठ प्रवचन (५ समिति, ३ गुप्ति ) का आराधन
करने से। ४ गुणवंत गुरु के गुण कीर्तन करने से । ५ स्थविर ( वृद्ध मुनि ) के गुण कीर्तन करने से । ६ बहुश्रुत के " " ७ तपस्वी
, " ८ सीखे हुवे ज्ञान को वारंवार चिंतवने से । है समकित निर्मल पालने से । १० विनय ( ७-१०-१३४ प्रकारके ) करने से । ११ समय समय पर आवश्यक करने से। १२ लिये हुवे व्रत प्रत्याख्यान निर्मल पालने से। १३ शुभ (धर्म-शुक्ल ) ध्यान ध्याने से । १४ बारह प्रकार की निर्जरा (तप) करने से । १५ दान (अभय दान-सुपात्र दान) देने से । १६ वैयावृत्य (१० प्रकार की सेवा ) करने से ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org