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________________ खराडा जायगा | ( ५२३ ) * खण्डा जोयणा [ सूत्र श्री जम्बू द्वपि प्रज्ञप्ति ] 'खण्डा 'जोयण वासा, 'पव्दय कूड़ा तित्थ से दीओ 'विजय 'दह सलिलाओ, पिंडए होई संगहणी | १ | १ लाख योजन लंबे चौड़े जम्बू द्वीप के अन्दर ( जिसमें हम रहते हैं ) १ खण्ड २ योजन ३ बास ४ पर्वत ५ कूट [ पर्वत के ऊपर ] ६ तीर्थ ७ श्रेणी ८ विजय ह द्रह १० नदिएं आदि कितनी हैं ? इसका वर्णन - www.^^^^^^ जम्बू द्वीप चक्की के पाट समान गोल है इसकी परिधि ३१६२२७ योजन ३ गाउ १२८ धनुष्य १३॥ गुल, एक जव, १ जूँ, १ लींख, ६ बालाय और १ व्यवहार परमाणु समान है । इस के चारों ओर एक कोट [ जगति ] है १ पद्मबर वेदिका, १ वन खण्ड और ४ दरवाजों से सुशोभित है । Jain Education International खण्ड योजन कला १ खण्ड द्वार - दक्षिण उत्तर भरत जितने [ समान ] खण्ड करे तो जम्बू द्वीप के १६० खण्ड हो सक्ते हैं । नं० क्षेत्र नाम १ भरत क्षेत्र २ नूल हेमवन्त पर्वत ३ हेमवाय क्षेत्र १ ५२६-६ २ १०५२-१२ २१०५ -५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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