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आकाश श्रेणी।
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(३) अनादि सान्त-अलोक अनादि है परन्तु लोक के
पास अन्त है। (४) अनादि अनन्त-जहां लोक का व्याघात नहीं पड़े वहां चार दिशा में सादि सान्त सिवाय के ३ भांगे । ऊंची नीवी दिशा में ४ भांगा।
द्रव्यापेक्षा श्रेणी कुड़जुम्मा है । ६ दिशा में और द्रव्यापेक्षा लोकाकाश की श्रेणी, ६ दिशा की श्रेणी और अलोकाकाश की श्रेणी भी यही है, प्रदेशापेक्षा
आकाश श्रेणी तथा ६ दिशा में श्रेणी कुड़जुम्मा है प्रदेशापेक्षा लोकाकाश की श्रेणी स्यात् कुड़जुम्मा स्यात् दावरजुम्मा है । पूर्वादि ४ दिशा और ऊंची नीची दिशापेक्षा कुड़जुम्मा है ।
प्रदेशापेक्षा अलोकाकाश की श्रेणी स्यात् कुड़जुम्मा जाव स्यात् कलयुगा है। एवं ४ दिशा की श्रेणी, परन्तु ऊंची नीची दिशा में कलयुगा सिवाय की तीन श्रेणी है।
श्रेणी ७ प्रकार की भी होती है-ऋजु, एक वंका,M दो वंका, _एक कोने वाली, - दो कोने वाली, - अर्ध चक्र वाल, 0 चक्र वाल । ___जीव अनुश्रेणी (सम ) गति करे, विश्रेणी गति न करे । पुद्गल भी अनुश्रेणी गति ही करे । विश्रेणी गति न करे।
॥ इति श्राकाश श्रेणी सम्पूर्ण ॥
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