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( ५१६)
थोकडा संग्रह |
आकाश श्रेणी
( श्री भगवती सूत्र शतक २५ उ० ३ ) आकाश प्रदेश की पंक्ति को श्रेणी कहते हैं समश्चय आकाश प्रदेश की द्रव्यापेक्षा श्रेणी अनन्ती है । पूर्वादि ६ दिशाओं की और अलोकाकाश की भी अनन्ती है ।
द्रव्यापेक्षा लोकाकाश की तथा ६ दिशाओं की श्रेणी असंख्याती प्रदेशापेक्षा समुच्चय आकाश प्रदेश तथा ६ दिशा की श्रेणी अनन्ती है ।
प्रदेशापेक्षा लोकाकाश आकाश प्रदेश तथा ६ दिशा की श्रेणी असं० है प्रदेशापेक्षा आलोकाकाश आकाश की श्रेणी संख्याती, असंख्याती, अनंती है पूर्वादि ४ दिशा में अनन्ती है और ऊंची नीची दिशा में तीन ही प्रकार की ।
समुच्चय श्रेणी तथा ६ दिशा की श्रेणी अनादि अनन्त है । लोकाकाश की श्रेणी तथा ६ दिशा की श्रेणी सादि सान्त है । लोकाकाश की श्रेणी स्यात् सादि सान्त स्यात् सादि अनन्त स्यात् अनादि सान्त और स्यात् अनादि अनन्त है |
(१) सादि सान्त - लोक के व्याघात में
(२) सादि अनन्त - लोक के अन्तमें अलोक की आदि है परन्तु अन्त नहीं |
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