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( ५०२ )
७ मनुष्य की ८ मनुष्यनी की
गाथा
जीव गइन्दिय काए जीएं वेद कसाय लेसाय । सम्मत्त गाए दंसण संयम उवयोग श्राहारे ॥ १ ॥ भासगयं परित पज्जत्त सुहम सन्नी भवत्थि । चरिमेय एतेसित पदाणं कायठिई दोइ पायव्वा ॥ २ ॥ मार्गणा जघन्य काय स्थिति उत्कृष्ट काय स्थिति १ समुच्चय जीवकी शाश्वता २ नारकी की ३ देवता की
क्रम
शाश्वता
१० हजार वर्ष ३३ सागरोपम
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४ देवी की
५ तिर्यच की ६ तिर्यचणी की
१२
१३
१४
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६ सिद्ध भगवान् की शाश्वता १० अपर्याप्ता नारकी की अन्तर्मुहूर्त
" देवता की
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११
देवी की
तिर्यच की
तिर्यचनी की
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५५ पलकी
अन्तर्मुहूर्त अनन्त काल (वन) ३पल्य और प्र० क्रोड़ पूर्व
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शाश्वता
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थोकडा संग्रह |
अन्तर्मुहूर्त
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