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( ३०४ )
- थोवडा संग्रह। ___ कर्कश भारी, लघु ( हलका ) मृदु स्पर्श का एक साथ अल्प बहुत्व-सवे से कम चक्षु इन्द्रिय का कर्कश भारी स्पर्श इससे श्रोत्रेन्द्रिय का कर्कश भारी स्पर्श अनन्त गुणा इससे घ्राणेन्द्रिय का अनन्त गुणा इससे रसन्द्रिय का इ.नन्त गुणा इससे पर्शन्द्रिय का अनन्त गुणा इससे स्पर्शेन्द्रिय का हलका मृदु स्पर्श अनन्त गुणा इससे रसन्द्रिय का हलका मृदु स्पर्श अनन्त गुणा इससे घ्राणेन्द्रिय का हलका मृदु स्पर्श अनन्त गुणा इससे श्रोत्रे. न्द्रिय का हलका मृदु स्पर्श अनन्त गुणा व इससे चक्षु इन्द्रिय का हलका मृदु स्पशे अनन्त गुणा ।
७ पृष्ट द्वार जो पुद्गल इन्द्रियों को प्राकर स्पर्श करते हैं उन पुद्गलों को इन्द्रिये ग्रहण करती हैं पांच इन्द्रियों में से चक्षु इन्द्रिय को छोड़ शेष चार इन्द्रियों को पुद्गल आकर स्पर्श करते हैं । चक्षु इन्द्रिय को प्राकर नहीं स्पर्श करते हैं।
८ प्रविष्ट द्वार जिन इन्द्रियों के अन्दर प्राभेमुख ( सामां) पुद्गल आकर प्रवेश करते हैं उसे प्रविष्ट कहते हैं । पांच इन्द्रियों में से चक्षु इद्रिय को छोड़ शेष चार इन्द्रिय प्रविष्ट हैं व चक्षु इन्द्रिय अप्रविष्ट है।
६ विषय द्वार (शक्ति द्वार ) प्रत्येक जाति की प्रत्येक इन्द्रिय का विषय जघन्य
दार
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