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________________ पांच ज्ञान का विवेचन | ष्य काल की जाने देखे । ६ क्षेत्र से धनुष्य प्रमाण क्षेत्र जाने देखे व काल से प्रत्येक मुहूर्त की बात जाने देखे । ७ क्षेत्र से गाउ (कोस ) प्रमाण क्षेत्र जाने देखे व काल से एक दिवस में कुछ न्यून की बात जाने देखे । ८ क्षेत्र से एक योजन प्रमाण क्षेत्र जाने देखे व काल से प्रत्येक दिवस की बात जाने देखे । ६ क्षेत्र से पच्चीश योजन क्षेत्र के भाव जाने देखे व काल से पक्ष में न्यून की बात जाने देखे । १० क्षेत्र से भरत क्षेत्र प्रमाण क्षेत्र के भाव जाने देखे व काल से पक्ष पूर्ण की बात जाने देखे । ११ क्षेत्र से जम्बू द्वीप प्रमाण क्षेत्र की बात जाने देखे व काल से एक माह जाजेरी की बात जाने देखे । ( २७१ ) १२ क्षेत्र से अढ़ाई द्वीप की बात जाने देखे व काल से एक वर्ष की बात जाने देखे । १३ क्षेत्र से पन्द्रहवाँ रुवक द्वीप तक जाने देखे व काल से पृथक वर्ष की बात जाने देखे । १४ क्षेत्र से संख्याता द्वीप समुद्र की बात जाने देखे व काल से संख्याता काल की बात जाने देखे । १५ क्षेत्र से संख्याता तथा असंख्याता द्वीप समुद्र की बात जाने देखे व काल से असंख्याता काल की बात जाने देखे | इस प्रकार उर्ध्व लोक, अधो लोक, तिर्यक् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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