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________________ (२४६) थोकडा संग्रह। करना ३ विपत्ति आने पर धर्म के अन्दर दृढ रहने का संग्रह करना ४ निश्रा रहित तप करने का संग्रह करना ५ सूत्रार्थ ग्रहण करने का संग्रह करना ६ शुश्रूषा टालने का संग्रह करना ७ अज्ञात कुल की गौचरी करने का संग्रह करना ८ निर्लोभी होने का संग्रह करना ६ बावीस परिषह सहन करने का संग्रह करना १० सरल निमेल (पवित्र ) स्वभाव रखने का संग्रह करना ११ सत्य संयम रखने का संग्रह करना १२ समकित निर्मल रखने का संग्रह करना १३ समाधि से रहने का संग्रह करना १४ पांच प्राचार पालने का संग्रह करना १५ विनय करने का संग्रह करना १८ शरीर को स्थिर रखने का संग्रह करना १६ सुविधि-अच्छे अनुष्ठान का संग्रह करना २० आश्व रोकने का संग्रह करना २१ अात्मा के दोष टालने का संग्रह करना २२ सर्व विषयों से विमुख रहने का संग्रह करना २३ प्रत्याख्यान करने का संग्रह करना २४ द्रव्य से उपाधि त्याग, भाव से गर्वादिक का त्याग करने का संग्रह करना २५ अप्रमादी होने का संग्रह करना २६ समय समय पर क्रिया करने का संग्रह करना २७ धर्म ध्यान का संग्रह करना २८ संवर योग का संग्रह करना २६ मरण पातङ्क ( रोग ) उत्पन होने पर मन में क्षोभ न करने का संग्रह करना ३० स्व. जनादि का त्याग करने का संग्रह करना ३१ प्रायश्चित जो लिया हो उसे करने का संग्रह करना ३२ आराधिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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