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________________ (८) थोकडा संग्रह । रुपी अजीव के ५३० भेद-५ वर्ण, २ गन्ध, ५ रस, ५ संस्थान, ८ स्पर्श, इन २५ में से जिसमें जितने बोल पाये जाते हैं वे सब मिला कर कुल ५३० भेद होते हैं। विस्तार ५ वर्ण-१ काला, २ नीला, ३ लाल, ४ पीला, ५ सफेद, इन पांचों वर्गों में २ गन्ध, ५ रस, ५ संस्थान, और ८ स्पर्श, थे २० बोल पाये जाते हैं इस प्रकार ५४२०=१०० बोल वर्णाश्रित हुवे । २गन्ध-१ सुरभि गंध २ दुरभि गंध इन दोनों में ५ वर्ण, ५ रस, ५ संस्थान और ८ स्पर्श ये २३ बोल पाये जाते हैं इस प्रकार २४२३४६ बोल गंध आश्रित हुवे। ५ रस-१ मिष्ट, २ कटुक, ३ तीक्ष्ण, ४ खट्टा, ५ कपायित इन ५ रसों में ५ वर्ण, २ गंध, ८ स्पर्श, और ५ संस्थान ये २० बोल पाये जाते हैं इस तरह ५४२०=१०० बोल रसाश्रित हुवे।। ५ संस्थान-१ परिमंडल संस्थान-चुड़ी के आकारचत्, २ वर्तुल संस्थान-लड्डू समान, ३ त्रंश संस्थान-सिंघाड़े समान, ४ चतुरंस्त्र संस्थान-चौकी समान, ५ आयत संस्थान-लम्बी लड़की समान, इन संस्थानों में ५ वर्ण, २ गंध, ५ रस, ८ स्पर्श ये २० बोल पाये जाते हैं इस तरह ५४२०=१०० बोल संस्थान आश्रित हुवे । ८ स्पर्श-१ कर्कश, (कठोर) २ कोमल, ३ गुरु, ४ लघु, ५ शीत, ६ उष्ण, ७ स्निग्ध, ८ रुक्ष, एक-एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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