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छः आरों का वर्णन ।
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छः आरों का वर्णन दश करोड़ा करोड़ी सागरोपम के छः बारे जानना ॥ (१) चार करोड़ा करोड़ी सागरोपम का 'सुखमा सुखमी' (एकान्त सुख वाला)नाम का पहिला पारा होता है इस बारे में मनुष्य का देहमान (शरीर) तीन गाउ ( कोस) का व आयुष्य तीन पन्योपम का होता है उतरते मारे में देहमान दो कोस का व आयुष्य दो पन्योपम का जानना । इस बारे में मनुष्य के शरीर में २५६ पृष्ट करंड (पांसली, हड्डी ) व उतरते ारे में १२८ पांसलियां होती है । संघयन वज्र ऋषभ नाराच व संस्थान समचतुरंस्त्र होता है । महास्वरूपवान सरल स्वभावी स्त्री पुरुष का जोड़ा होता है जिनको श्राहार की इच्छा तीन दिन के अन्तर से होती है तब शरीर प्रमाणे x आहार करते है। इस समय मिट्टी का स्वाद भी मिश्री के समान मिष्ट होता है व उतरते आरे मिट्टी का स्वाद शर्करा जैसा होता है। इस समय मनुष्यों को दश प्रकार के कल्प वृक्षों द्वारा मन वांछित सुख की प्राप्ति होती है यथाः__x पहिले पारे में तूर जितना, दूसरे बारे में बोर जितना भौर तीसरे भारे में नांवले जितना आहार युगल मनुष्य करते हैं ऐसा ग्रन्थकार
* जिस कल्प वृक्ष के पास जो फल है वो वही फल देता है इस तरह दश ही कल्प वृक्ष मिल कर दश वस्तु देते हैं परन्तु जिस वस्तु की मन में
चिन्ता करते हैं उसे देने में समर्थ नहीं होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org