________________
( १४२)
थोकडा संग्रह।
भवनं पति, वाण व्यन्तर, ज्योतिषी, पहिला दुसरा देव लोक में अंतर पड़े तो जघन्य एक समय उत्कृष्ट चोवीश मुहूर्त का, तीसरे देव लोक में अंतर पडे तो जघन्य एक समय उत्कृष्ट नव दिन और वीश मुहूते का।
चोथे देव लोक में अंतर पड़े तो जघन्य एक समय उत्कृष्ट बारह दिन और दश मुहूर्त का ।
पांचवे देव लोक में अंतर पड़े तो जघन्य एक समय उत्कृष्ट साड़ा बावीश दिन का ।
छठे देव लोक में अंतर पड़े तो जघन्य एक समय उत्कृष्ट तालीश दिन का।
सातवें देवलोक में अंतर पड़े तो जघन्य एक समय उत्कृष्ट अस्सी दिन का।
आठवें देवलोक में अंतर पड़े तो जघन्य एक समय उत्कृष्ट सो दिन का।
नववें, दशवें देवलोक में जघन्य एक समय उत्कृष्ट संख्याता माह का, इग्यारहवें बारहवें देवलोक में जघन्य एक समय उत्कृष्ट संख्याता वषे का, ग्रीयेवक की पहेलीत्रीक में अंतर पड़े तो जघन्य एक समय वा उत्कृष्ट संख्याता सो वष का, ग्रीयवेक की दूसरी त्रीक में ज० एक समय उ० संख्याता हजार वर्ष का ग्रीयवेक की तीसरी त्रीक में ज० एक समय उ० संख्याता लक्ष वर्षे का चार अनुत्तर" " " " "पल्य के असंख्यातवें भाग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org