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आठ कर्म की प्रकृति |
( १३३ )
* मोहनीय कर्म छ प्रकारे बांधे
१ तीव्र क्रोध २ तीव्र मान ३ तीव्र माया ४ तीव्र लोभ ५ तीव्र दर्शन मोहनीय ६ तीव्र चारित्र मोहनीय | * मोहनीय कर्म पांच प्रकारे भोगवे
१ सम्यक्त्व मोहनीय २ मिथ्यात्व मोहनीय ३ सम्यक्त्व मिथ्यात्व (मिश्र) मोहनीय ४ कषाय चारित्र मोह - नीय ५ नोकषाय चारित्र मोहनीय |
|| मोहनीय कर्म की स्थिति ॥
जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट ७० करोडा करोड सागरोपम की, अबाधा काल जघन्य अन्तर मुहूर्त का उत्कृष्ट सात हजार वर्ष का ।
* आयुष्य कर्म का विस्तार
आयुष्य कर्म की चार प्रकृतिः- १ नरक का आयुष्य२ तिर्यच का आयुष्य ३ मनुष्य का श्रायुष्य ४देव का आयुष्य ।
आयुष्य कर्म सोलह प्रकारे बांधे
१नरक आयुष्य चार प्रकारे बांधे रतिर्येच का आयुष्य चार प्रकारे बांधे ३ मनुष्य का आयुष्य चार प्रकारे बांधे ४ देव आयुष्य चार प्रकारे बांधे ।
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