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चोवीस दण्डक ।
( ११६)
युगलिया का दण्डक
१ शरीर द्वार-युगलियों में शरीर तीन १औदारिक २ तैजस् ३ कामण ।
२ अवगाहना द्वार हेम वय हिरण्य क्य में जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग उत्कृष्ट एक गाउ की, हरिवास रम्यक वास में जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग उत्कृष्ट दो गाउ की, देव कुरू, उत्तर कुरू में जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग उत्कृष्ट तीन गाउ की, छप्पन्न अन्तर द्वीप में आठ सो धनुष्य की।
३ संघयन द्वार युगलियों में संघयन एक १ वज्र ऋषभ नाराच संघयन
४ संस्थान द्वार युगलियों में संस्थान एक-१ समचतुरंस्त्र संस्थान । ५ कषाय द्वार:- युगलियों में कषाय चार । ६ संज्ञा द्वार- , , संज्ञा चार ७ लेश्या द्वार-, , लेश्या चार कृष्ण,
नील, कपोत, तेजो ८ इन्द्रिय द्वार-" , इन्द्रिय पांच ६ समुद्घात , , , समुद्घात तीन
१ वेदनीय २ कषाय ३ मारणांतिक १० संज्ञी द्वार-युगलिया संज्ञी ।
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