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________________ चतुर्थ खण्ड २९७ उच्च दृष्टिसंस्कार के परिणामस्वरूप आत्मवादी अथवा परलोकवादी सज्जन किसी भी प्राणी के साथ विषमभाव न रखकर 'पण्डिताः समदर्शिन: ' के महान् वाक्यार्थ को अपने जीवन का ध्येय बनाता है और ऐसा करके परहित के साधन के साथ आत्महित के साधन को गूंथने के कार्य में यत्नशील बनता है । अनेक तार्किक मनुष्य ईश्वर अथवा आत्मा के अस्तित्व के बारे में सन्देह रखते हैं, परन्तु जब उनके ऊपर कोई महान् विपत्ति आती है अथवा वे किसी दारुण व्याधि के शिकार बनते हैं तब उनके हृदय का तार्किक आवेश मन्द पड़ जाता है और उनका मन ईश्वर को ( किसी अज्ञेय अलक्ष्य चेतनाशक्ति को ) याद करने में लीन हो जाता है । वे उसकी ओर झुकते हैं, उसका स्मरण करते हैं और उसको अपनी दुर्बलता, असहायता एवं पापपरायणता बार-बार जता कर अपनी सम्पूर्ण दीनता प्रकट करते हैं तथा उत्कण्ठित हृदय के भक्तिपूर्ण भाव से उसकी शरण चाहते हैं । मनुष्य की मानसिक कट्टरता और नास्तिकता चाहे जितनी प्रबल क्यों न हो, परन्तु दुःख के समय उसमें अवश्य फर्क पड़ता है । घोर विपत्ति के समय उसकी सारी उच्छृंखलता हवा हो जाती है । और उसमें भी मरण की नौबत ! यह तो गम्भीर से गम्भीर परिस्थिति है । उस समय तो कट्टर से कट्टर नास्तिक भी एकदम ढीला हो जाता है । उसकी नास्तिकता मोम की तरह पिघल जाती है और दुःख के पंजे में से छूटने के लिये किसे प्रार्थना करना, किस की शरण में जाना इसी की खोज में उसकी आँखें घूमती रहती है 1 I आत्मा का पुनर्जन्म और परमात्मा का अस्तित्व यदि न माना जाय, पुण्य-पाप को कल्पनासम्भूत एवं मिथ्या समझ लिया जाय तो आध्यात्मिक जगत् में अथवा सृष्टि की व्यवस्था में जीवनगति के एक श्रेष्ठ आधार से वंचित होना पड़े । सात्त्विक उत्कर्ष का यात्री अपनी अनुभूति को उद्बोधन करके कहता है कि 'आत्मा नहीं है, भगवान् नहीं हैं' —— ऐसा विचार करने के साथ ही हृदय की सब प्रसन्नता लुट जाती है और नैराश्य का घोर अन्धकार उस पर छा जाता है । आत्मा, कर्म (पुण्य-पाप), पुनर्जन्म, मोक्ष, और परमात्मा - यह पंचक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002971
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorNyayavijay
Author
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size17 MB
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