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________________ २८० जैनदर्शन इन चार प्रकार के बन्धों में पहला और अन्तिम ये दो बन्ध 'योग' के कारण होते हैं, क्योंकि योग के तरतमभाव के ऊपर ही प्रकृतिबन्ध और प्रदेशबन्ध की तरतमता अवलम्बित है । मतलब यह कि जीव की ओर आकर्षित होनेवाले कर्मपुद्गलों में भिन्न भिन्न स्वभाव का निर्माण होना तथा इन पुद्गलों की संख्या में न्यूनाधिकता होना ये दो काम (पहला प्रकृतिबन्ध और दूसरा प्रदेशबन्ध) 'योग' पर निर्भर है । और कर्म के स्थितिबन्ध तथा अनुभावबन्ध कषाय पर आश्रित हैं । इसके बारे में आगे के पृष्ठों में स्पष्टीकरण किया जायगा । अनुभावबन्ध को रसबन्ध भी कहते हैं । [अनुभाव के स्थान पर 'अनुभाग' शब्द भी प्रचलित है ।] रस तीव्र और मन्द इस तरह दो प्रकार का है । इन दोनों प्रकारों के रसबन्ध शुभ एवं अशुभ दोनों प्रकार की कर्मप्रकृतियों में निष्पन्न होते हैं । अशुभ प्रकृति के अनुभाव(रस) की उपमा नीम के जैसे कडुए रस के साथ दी जाती है, अर्थात् जैसे नीम का रस कडुआ होता है वैसे अशुभ प्रकृति का रस भी बुरा- दुःखरूप होता है; और शुभ प्रकृति के रस की उपमा गन्ने के रस के साथ दी जाती है, अर्थात् गन्ने का रस जैसे मीठा होता है वैसे ही शुभ प्रकृति का रस मीठासुखदायक होता है। कषाय की तीव्रता के समय शुभ अथवा अशुभ कोई भी कर्मप्रकृति जो बंधती है उसका स्थितिबन्ध भी अधिक होगा और कषाय की मन्दता के समय शुभ अथवा अशुभ कोई भी कर्मप्रकृति जो बंधती है उसका स्थितिबन्ध कम होगा; अर्थात् सब कर्मों के स्थितिबन्ध की न्यूनाधिकता कषाय की न्यूनाधिक मात्रा पर अवलम्बित है। कषाय जितना तीव्र, किसी भी शुभअशुभ प्रकृति का स्थितिबन्ध भी उतना ही अधिक बंधता है और कषाय जितना मंद, किसी भी शुभ-अशुभ कर्मप्रकृति का स्थितिबन्ध उतना ही कम बंधता है । सब कर्मों का उत्कृष्ट स्थितिबन्ध अशुभ ही होता है । परन्तु अनुभाव की (रस की) बात इससे भिन्न प्रकार की है । वह इस प्रकार : कषाय की तीव्रता के समय अशुभ कर्मप्रकृति का रस अधिक बंधता है । और शुभ कर्मप्रकृति का कम; और कषाय की मन्दता के समय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002971
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorNyayavijay
Author
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size17 MB
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