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निक्षेप
४०६
४. अवतारवाद
३७७ १२. काल-स्वभाव-पूर्वकर्म५. कर्तृत्ववाद
३७७
उद्यम-नियतिवाद ३८३ ६. साकार-निराकारवाद ३७७ १३. ज्ञान-क्रियावाद ३९३ ७. आत्मविभुत्ववाद ३७८ १४. निश्चय-व्यवहारदृष्टि ३९४ ८. शून्य और क्षणिकवाद ३७९ १५. उत्सर्ग-अपवाद ३९९
४०४ षष्ठ खण्ड : जैनदर्शन की असाम्प्रदायिकता और उदारता ईश्वरकर्तृत्ववाद-प्रकृतिवाद-क्षणिकवादविज्ञानवाद-शून्यवाद-अद्वैतवाद आदि वादों की प्रामाणिकता । अन्य दर्शनों के महर्षियों का आदरपूर्वक उल्लेख
४१० मार्ग भिन्न होने पर भी परमात्मदशा की प्राप्ति
४१४ महावीर के शासन की तीन विशेषताएँ : अनेकान्त, अहिंसा और अपरिग्रह
४१६ महावीर की क्रान्तिकारिता
४१८-४२१ -स्त्री-पुरुषसमानता
४१८ -गुणकर्म पर वर्णव्यवस्था का आधार -बाह्य वेश या आचार नहीं, किन्तु अन्तःशुद्धि ही जीवन का सर्वस्व
४२१ उपसंहार
४२४
४१९
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