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________________ ३१० ३११ ३१५ ३१८ ३३६-३४८ ३३८ ३३८ ३३९ ३४० ३४३ ३४४ ३४५ ३४६ ३४९ १-२. स्मरण और प्रत्यभिज्ञान ३-४. तर्क और अनुमान ५. आगम स्याद्वाद अथवा अनेकान्तवाद सप्तभंगी प्रथम भंग : अस्ति द्वितीय भंग : नास्ति तृतीय भंग : अस्ति-नास्ति चतुर्थ भंग : अवक्तव्य पंचम भंग : अस्ति-अवक्तव्य षष्ठ भंग : नास्ति-अवक्तव्य सप्तम भंग : अस्ति-नास्ति-अवक्तव्य -व्यावहारिक उदाहरण नय -प्रमाण और नय -नय के दो भेद : द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नय के सात भेद : १. नैगम ३५८ ५. शब्द २. संग्रह ३६० ६. समभिरूढ ३. व्यवहार ३६१ ७. एवम्भूत ४. ऋजुसूत्र ३६१ - नयाभास नय और अनेकान्त हाथी के दृष्टान्त द्वारा नय-अनेकान्त का स्पष्टीकरण अनेकान्त के दृष्टिकोण द्वारा कतिपय दार्शनिक विवादों का समन्वय १. ईश्वरकर्तृत्व ९.दिगम्बर और अकर्तृत्ववाद ३७४ श्वेताम्बरवाद २. द्वैताद्वैतवाद ३७६ १०. मूर्तिवाद ३. एकानेकात्मवाद ३७६ ११. क्रियावाद ३५० ३५७ ३५८-३६९ ३६२ ३६४ ३६४ ३६८ ३६९ ३७२ ३७४ ३७८ ३७९ ३८० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002971
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorNyayavijay
Author
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size17 MB
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