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२८
२३५ २४३ २५० २५३
२५६ २७३ २७५
२७९ २८३-२८६
२८५
२१. श्रद्धा २२. शास्त्र २३. वैराग्य २४. मुक्ति
चतुर्थ खण्ड : कर्मविचार निश्चय और व्यवहार, व्यष्टि और समष्टि आदि विभिन्न दृष्टिकोणों से कर्म के सिद्धान्त पर विचार आयुष्य कर्म के बारे में कर्म : केवल संस्कार नहीं, द्रव्यभूत वस्तु भी कर्मबंध के प्रकृति, स्थिति आदि चार भेदों का _ विशेष विवरण कर्म की दस अवस्थाएँ १. बन्ध
२८३
७.संक्रमण २-३. उद्वर्तना-अपवर्तना २८३
८.निधत्ति ४. सत्ता
९.निकाचना ५. उदय
२८४
१०. उपशमन ६. उदीरणा
२८५ 'मैं' अनुभूति का आधार : आत्मा प्राणिगत वैषम्य का कारण : कर्म आत्मा और कर्म का परस्पर प्रभाव देव या स्वर्गगति 'अकस्मात्' पर विचार शुभ-अशुभ अध्यवसाय से शुभ-अशुभ कर्मबन्ध सामुदायिक कर्म परलोक की विशिष्ट विवेचना
पंचम खण्ड : न्यायपरिभाषा प्रमाण प्रत्यक्ष प्रमाण परोक्ष प्रमाण के पाँच भेद
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३०९ ३१०-३१६
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