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________________ २७७ चतुर्थ खण्ड का औषध सम्पूर्णतया समाया हुआ है ।। जिस प्रकार पवन से धूल उड कर किसी स्थान पर गिरे और यदि वहाँ चिकनी वस्तु पडी हो तो उससे वह चिपक जाती है उसी प्रकार जीव की मनो-वाक्-काय की प्रवृत्ति(योग) रूपी पवन से कार्मिक पुद्गल जीव पर गिरते हैं और कषाय के कारण उसके साथ चिपक जाते हैं । कषाय का नाश होने पर भी जब तक 'योग' रहते हैं तब तक कर्मपुद्गल 'योग' से आकृष्ट होकर जीव के साथ लगते हैं तो सही, परन्तु टिकते नहीं । जीव को छूकर तुरन्त ही झड जाते हैं । यहाँ पर ऐसा प्रश्न हो सकता है कि जीव तो अमूर्त है, तो फिर उसके साथ मूर्त कर्मपुद्गलों का बन्ध कैसे हो सकता है ? इसका उत्तर तो यही है कि, यद्यपि जीव स्वरूप से (अपने मूल स्वरूप से) अमूर्त है फिर भी अनादि-कालीन राग-द्वेष मोह की वासना से, जो उसके वास्तविक शुद्ध स्वरूप के साथ सर्वथा असंगत है, वासित होने के कारण और इसीलिये उसके साथ कार्मिक पुद्गल निरन्तर जुडते रहने से वह स्वयं अमूर्त होने पर भी मूर्त जैसा बन गया है-अनादिकाल से उसकी मूर्त जैसी स्थिति हो गई है। यह शरीरधारण, भवभ्रमण, सुख-दुःख तथा वासनामय जीवनप्रवाह-ये सब जीव के हैं । शरीरधारक जीव है, भवभ्रमण करनेवाला जीव है, सुख-दुःख का वेदक जीव है, वासना से वासित जीव है । यह सब-यह सब झमेलायह सब झंझट अकारण तो कैसे हो सकता है ? अतः उसकी इस परिस्थिति का कारण भी उसके साथ ही सम्बद्ध हो यह सहज ही समझा जा सकता है, और उसकी यह परिस्थिति अनादिकालीन होने से उसका कारणयोग भी उसके साथ अनादिकालीन होना चाहिए यह स्पष्ट है । यह कारणयोग मोह, अविद्या, माया, वासना, कर्म जो कुछ कहो वह उसके साथ अनादिकाल से संयुक्त होने के कारण ऊपर कहा उस तरह, अमूर्त होने पर भी वह सर्वदा से मूर्त जैसा है । और इसी कारण निरन्तर कर्मो के बन्ध व उदय आदि के झंझट में वह फँसा हुआ रहता है तथा भवकान्तर में भटकता फिरता है । चेतनाशक्ति-ज्ञानशक्ति अमूर्त है, फिर भी मदिरा आदि से उस पर आवरण आ जाता है, इसी प्रकार आत्मा अमूर्त होने पर भी उसकी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002971
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorNyayavijay
Author
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size17 MB
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