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________________ १७८ जैनदर्शन जाने वह सामान्य उपयोग और जो बोधग्राह्य वस्तु को विशेषरूप से जाने वह विशेष उपयोग है । विशेष उपयोग को साकार उपयोग और सामान्य उपयोग को निराकार उपयोग कहते हैं । साकार और निराकार शब्दों में आए हुए 'आकार' शब्द का अर्थ 'विशेष' समझने का है । 'निराकार' उपयोग का अर्थ है आकार अर्थात् विशेष का ग्रहण जिसमें नहीं है ऐसा उपयोग अर्थात् सामान्यग्रहणात्मक उपयोग निराकार उपयोग है । सामान्य उपयोग को 'दर्शन' और विशेष उपयोग को 'ज्ञान' कहते हैं । __ 'दर्शन' का लक्ष सामान्य की ओर होने से उससे एकता अथवा समानता का भान उत्पन्न होता है, जबकि ज्ञान का लक्ष विशेषता की ओर होने के कारण उससे विशेषरूपता का—भिन्नता का भान होता है । प्रथम दर्शन और बाद में ज्ञान ऐसा क्रम लगभग सर्वसाधारण समझा जाता है। प्रथम यदि दर्शन न हो तो ज्ञान हो ही कैसे ? दर्शन और ज्ञान का भेद समझने के लिये यहाँ पर एक स्थूल दृष्टान्त देना उपयोगी होगा । गायों के समूह को दूर से देखने पर हमें प्रारम्भ में 'ये सब गायें हैं' ऐसा सामान्यतः भान होता है । ऐसे समय हम मुख्यतः गायों में रहे हुए सामान्य तत्त्व की ओर ध्यान देते हैं । गायों का समूह समीप आने पर उनके रंग, सींग, कद, आदि में रही हुई विशेषताओं की ओर यदि हम लक्ष दें तो एक गाय से दूसरी गाय में रही हुई भिन्नता हमारी समझ में आती है। ऐसे समय हम मुख्यतः गायों में रही हुई विशेषताओं की ओर ध्यान देते हैं । दर्शन एवं ज्ञान में तात्त्विक भेद नहीं है । दोनों बोधरूप ही हैं । भेद केवल विषय की सीमा को लेकर ही है। अत: ज्ञान को विशाल अर्थ में यदि हम लें तो उसमें दर्शन' का समावेश हो जाता है । लगभग सभी दर्शन ऐसा मानते हैं कि ज्ञानव्यापार के उत्पत्तिक्रम में सर्वप्रथम ऐसे बोध का स्थान अनिवार्य रूप से आता है जो ग्राह्य विषय के १. दर्शन को सामान्य अवबोध, सामान्य उपयोग, निराकार उपयोग अथवा निर्विकल्पक ज्ञान भी कहते हैं और ज्ञान को विशेष अवबोध, विशेष उपयोग, साकार उपयोग अथवा सविकल्प ज्ञान भी कहते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002971
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorNyayavijay
Author
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size17 MB
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