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________________ १३० जैनदर्शन महावीर केवलज्ञान की प्राप्ति से पूर्व चतुर्ज्ञान के धारक थे और उनकी ख्याति उस समय भी (अन्य सम्प्रदायों की विशाल जनता में तथा उन लोगों के लोकमान्य धर्मनायकों में भी) एक दीर्घतपस्वी के रूप में फैली हुई थी, ऐसे भगवान् महावीर अपनी दीर्घ तपश्चर्या सिर्फ शरीरकष्ट के लिये ही करें यह नहीं माना जा सकता । वस्तुत: इस महान् विश्ववत्सल की महान् तपश्चर्या के पीछे कल्याणसाधना का विशाल दृष्टिबन्दु था—ऐसा उनके जीवनचरित के अध्ययन से प्रकट होता है । महावीर प्रभु का भीषण अभिग्रह और उसके साथ चन्दनबाला की गुलामी में से मुक्ति की विशिष्ट घटना का सम्बन्ध इस पर से महावीर के व्यापक तेजस्वी तप का ख्याल आ सकता है । अन्तरंग-तप के बिना बाह्य-तप का मूल्य नहीं है । मुख्य तप और श्रेष्ठ-तप आभ्यन्तर-तप है । उसके साथ बाह्य-तप जितने अंश में अनुकूल हो, जितनी मात्रा में उपकारक हो, उतने अंश में, उतनी मात्रा में वह सार्थक है । परन्तु चित्तशोधन, जीवनविकास अथवा आरोग्यलाभ किसी में भी यदि वह उपकारक न हो तो ऐसा अज्ञान तप निरर्थक है । बाह्य-तप करनेवाले को सतत ध्यान में रखना चाहिए कि वह दूसरे पर भाररूप न हो । प्रसंगवश यह याद कराना उपयोगी होगा कि आरोग्य के लिये, पेट में पड़ा हुआ अन्न पच कर शरीर में रसरूप से परिणत हो यह आवश्यक है। पाचनशक्ति का नाश होने पर सभी प्राण नाश के मार्ग पर प्रयाण करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं, । रोग मनुष्य के मन पर खराब प्रभाव डालते हैं और आत्मध्यान में अथवा धर्मसाधन में विघ्नररूप भी होते हैं । अतः यह प्रथम आवश्यक है कि शरीर नीरोग रहे । इसलिये बाह्य-तप इस तरह न करना चाहिए जिससे शरीर में रोग उत्पन्न हो और इन्द्रियाँ (कर्मेन्द्रियाँ तथा ज्ञानेन्द्रियाँ) कार्यक्षम न रहे । उपाध्याय श्री यशोविजयजी महाराज अपने 'ज्ञानसार' अष्टक के तपोऽष्टक में कहते हैं कि तदेवं हि तपः कार्यं दुर्ध्यानं यत्र नो भवेत् । येन योगा न हीयन्ते क्षीयन्ते नेन्द्रियाणि च ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002971
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorNyayavijay
Author
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size17 MB
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