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________________ है, किन्तु उनके पूर्ववर्ती पार्श्वनाथ आदि केवलज्ञानी महापुरुषों ने ( तीर्थंकरों ने) जिस धर्ममार्ग का प्रकाशन किया है उसी धर्ममार्ग को पुनः प्रकाश में लाकर विकसित रूप से उन्होंने जनवर्ग के सम्मुख उपस्थित किया है । यह धर्म-सम्प्रदाय संकुचित चौके में सीमित सम्प्रदाय नहीं है, किन्तु इसके वास्तविक तत्त्वाभ्यास पर से ज्ञात हो सकता है कि यह तो मानवमात्र केप्राणीमात्र के हितसाधन या कल्याणसाधन का मार्गदर्शक [पवित्र ज्ञानसम्पत्ति अथवा विचारधारा का सम्प्रदाता] सम्प्रदाय है । विद्वन्मूर्धन्य ब्राह्मण में से श्रमण होनेवाले तथा निर्ग्रन्थमार्ग का स्वीकार करनेवाले महान् जैनाचार्य श्रीहरिभद्र जब 'यस्मादेते महात्मानो भवव्याधिभिषग्वराः' (कपिल, बुद्ध आदि महात्मा संसाररूपी व्याधि के लिये महान् वैद्य थे) ऐसी उदार एवं उज्ज्वल वाणी का उच्चारण और समर्थन करते हैं तब हम क्षणभर के लिये स्तब्ध हो जाते हैं कि ऐसी वाणी के उद्गार के समय इस आत्मा में कितनी शान्ति होगी ! सम्प्रदाय - व्यवहार में प्रवर्तमान होने पर भी और दार्शनिक वाद-चर्चा में जबरदस्त भाग लेने पर भी इस आत्मा में इतनी प्रशमवृत्ति तथा लोकमैत्री को जगानेवाला और उसे वीतरागता की ओर ले जानेवाला जो कोई दृष्टिसंस्कार होगा वह वस्तुतः वन्दनार्ह है । जैनधर्म का साहित्य बहुत विशाल है । वह प्रत्येक विषय के ग्रन्थों से समृद्ध है। जैनों के संस्कृत - साहित्य की महत्ता बतलाते हुए जर्मन विद्वान् डॉ० हर्टल ने लिखा है कि 'Now what would Sanskrita Poetry be without the large Sanskrita literature of the Jainas! The more I learn to know it, the more my admiration rises.'-—Jainashasana Vol. I, No. 21. अर्थात्—जैनों के महान् संस्कृत - साहित्य को यदि अलग कर दिया जाय तो संस्कृत - कविता की क्या दशा होगी ? इस विषय में मुझे जैसेजैसे अधिक जानकारी मिलती जाती है वैसे-वैसे मेरे आनन्दयुक्त आश्चर्य में अभिवृद्धि होती जाती है । जैनधर्म के अनुयायियों में मुख्य दो भेद पड़े हुए हैं : श्वेताम्बर और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002971
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorNyayavijay
Author
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2003
Total Pages458
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size17 MB
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