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________________ देववन्दन तथा चैत्यवन्दन करते समय यह सूत्र बोलते सुनते समय की मुद्रा । प्रतिक्रमण तथा आलोचना करते समय यह सूत्र बोलते सुनते समय की मुद्रा । मूल सूत्र इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! ईरियावहियं पडिक्कमामि ? इच्छं, इच्छामि पडिक्कमिउं ॥ १ ॥ गमणागमणे ॥३॥ पाण-कमणे, बीय-क्कमणे, हरिय- क्कमणे, ओसा-उतिंग-पणग- दग-मट्टी ६ श्री ईरियावहियं सूत्र : श्री ईरियावहियं (ऍर्यापथिकी) सूत्र विषय : : लघु प्रतिक्रमण सूत्र पद : २६ संपदा : ७ गुरु-अक्षर : १४ लघु-अक्षर : १३६ सर्व अक्षर : १५० आदान नाम गौण नाम उच्चारण में सहायक इच् छा कारेण सन्-दि-सह भगवन् ! ईरि-या-वहि-यम् पडिक्-कमा-मि ? इच्-छम्, १. अभ्युपगम संपदा इच् छा - मि पडिक्-कमि - उम् ॥१॥ २. निमित्त संपदा मैं प्रतिक्रमण करना चाहता हूँ । १. ईरियावहियाए विराहणाए ॥२॥ ईरि-या वहि-याए विरा-हणा - ए ॥२॥ मार्ग में चलते समय हुई विराधना का । २. गाथार्थ : हे भगवन् ! स्वेच्छा से आज्ञा दीजिये। आने-जाने की क्रिया से लगे पाप का प्रतिक्रमण करूं ? आपकी आज्ञा मैं स्वीकारकरता हूँ। मैं प्रतिक्रमण करना चाहता हूँ । १. मार्ग में चलते समय हुई जीव विराधना का । २. ३. ओघ संपदा गम-णा-गम-णे ॥३॥ ४. ईतर संपदा पाणक्-कम-णे, बीयक्-कम-णे, हरि-यक्-कम-णे, ओसा - उत्- तिङ्-ग-पण-ग- दग-मट् टी मक्कडा - संताणा संकमणे ॥४॥ मक्- कडा-सन्-ताणा सं-कम-णे ॥४॥ गाथार्थ: प्राणियों को दबाने से, बीज को दबाने से, हरी वनस्पति को दबाने काई, पानी भीगी मिट्टी, मकड़ी के जाल को कुचलने से । ४. गमनागमन करने से हुई जीवों की विराधना हेतु क्षमापना । or Private & Personal Us पद क्रमानुसारी अर्थ हे भगवन् ! स्वेच्छा से आज्ञा दीजिये । आने जाने की क्रिया से लगे पाप का प्रतिक्रमण करूं ? आपकी आज्ञा मैं स्वीकार करता हूँ । आते जाते । ३. प्राणियों को दबाने से, बीज को दबाने से, वनस्पति को दबाने से, ओस की बूंद, चींटियों के बिल, पंच वर्णी काई, पानी भीगी मिट्टी, मकड़ी के जाल को कुचलने से । ४. से, ओस की बूंद, चींटियों के बिल, पंच वर्णी ८९ ary.org
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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