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विविध आवश्यक क्रिया की सच्ची मुद्राएँ-१
२. सामायिक, पच्चक्खाण पारते समय तथा १. गुरुस्थापना मुद्रा। अविधि आशातना करते समय की मुद्रा ।
थोड़ा
हाथ को सीधे
सर्पाकार में रखना चाहिए।
झुकना चाहिए।
चादर कोर
के साथ रखना चाहिए।
मुहपत्ति का उपयोग करें।
चरवले के बिना कभी भी सामायिक नहीं की जाती है।
४. वंदिउँ' 'वंदामि''वंदे' तथा 'नमंसामि' बोलते समय की मुद्रा ।
वंदन नमस्कार
३. खमासमण के समय की मुद्रा। नीचे झुकते समय पीछे से उँचा
नहीं होना चाहिए। दोनों कुहनियों को अन्दर रखना चाहिए।
करते समय अधिक झुकना चाहिए।
सामायिक में भी करधनी (कंदोरा) . पहनना चाहिए।
दोनों घुटनों को
आस-पास रखना चाहिए।
दो हाथ, दो पैर और मस्तक ये पाँचों अंग भूमि को स्पर्श करे तब 'मत्थएण वंदामि' बोलना चाहिए।
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