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________________ તમો સામે १.३८२००९ १ श्री नमुक्कार सुत्त' आदान नाम : नवकार मंत्र गौण नाम :पंचमंगल महाश्रुतस्कंध पद विषय: श्री पंच परमेष्ठि को नमस्कार के साथ उसका फल कथन । संपदा गुरु-अक्षर :७ लघु-अक्षर :६१ सर्व अक्षर :६८ BREAK मूल सूत्र नमोअरिहंताण 0800 नमो सिद्धाणं ॥२॥ नमोआयरियाणं ॥३ नमो उवज्झायाणं॥४॥ नमो लोए सव्व-साहूणं ॥५॥ उच्चारण में सहायक नमो अरि-हन्-ता-णम् 0 नमो-सिद्-धा-णम्। नमो-आय-रि-या-णम् । नमो-उवज्-झा-या-णम्। नमो-लोए-सव्-व-साहू-णम्। पद क्रमानुसारी अर्थ पमस्कार होअरिहंत भगवंतों को। नमस्कार हो सिद्ध भगवंतों को। घमास्कार होआचार्य भगवनों को। नमस्कार हो उपाध्याय भगवंतों को। | नमस्कार हो लोक में रहेहुए सर्वसाधु भगवंतों को। छंद का नाम : सिलोगो; राग : दर्शन देव देवस्य... (प्रभु स्तुति) एसो पंच-नमुक्कारो ॥६॥ एसो-पञ् (पन्)-च-नमुक्-कारो। यह पंचनमस्कार / इन पाँचों को किया हुआ नमस्कारसव्व-पाव-प्पणासणो ॥७॥ सव्व-पावप्-प-णा-सणो। सर्व पापों का नाश करने वाला है। मंगलाणंच सव्वेसिं ॥८॥ मङ्ग -ला-णम्-च-सव-वेसिम्। और सर्व मंगलों मेंपढम हवइ मंगलं ॥९॥ पढ-मम्-हव-इ-मङ्-ग-लम्। प्रथम मंगल है। गाथार्थ : अरिहंत भगवंतों को नमस्कार हो । सिद्ध भगवंतों को नमस्कार हो । आचार्य भगवंतों को नमस्कार हो । उपाध्याय लोक में रहे हए सर्व साध भगवंतों को नमस्कार हो । इन पाँचों को किया हआ नमस्कार सर्व पापों का नाश करने वाला है और सर्व मंगलों में (यह नमस्कार) प्रथम मंगल है। १... -- - - - - - - -- - - - - - - उपयोग के अभाव से होते प्रस्तुत पुस्तक में उपयोगी शब्दों के सरल अर्थ-सुगमार्थ अशुद्ध उच्चार के सामने शुद्ध उच्चारण • सम्पदा = सूत्र बोलते समय अटकने का स्थान । अशुद्ध पद = सूत्र बोलते समय थोड़ा सा अटकने का स्थान । नमोरिहंताणं नमो अरिहंताणं • आदान नाम = सूत्र के प्रथम अक्षर से प्रचलित नाम । नमो अरिअंताणं नमो अरिहंताणं • गौण नाम = सूत्र के गुण तथा विषय के आधार पर दिया गया नाम । नमो सिध्दाणं नमो सिद्धाणं • गुरु (दीर्घ) अक्षर = थोड़े अधिक परिश्रम से बोले जानेवाले अक्षर, जिसकी नमो अरियाणं नमो आयरियाणं मात्रा २ है। नमो उवझायाणं नमो उवज्झायाणं लघु (हस्व) अक्षर = अल्प प्रयत्न से बोले जानेवाले शब्द, जिनकी मात्रा १ है। साहुणं साहूणं • सर्वाक्षर = ह्रस्व तथा दीर्घ अक्षरों की कुल संख्या का प्रमाण। पंच नमुकारो पंच नमुक्कारो • पद क्रमानसारी अर्थ = सत्र में आनेवाले पदों के क्रमानसार अर्थ । सवपावपणासणो सव्व-पावप्पणासणो सव्वेसिग् सव्वेसिम् गाथाओं का सामूहिक अर्थ = गाथाओं में विभक्ति के क्रमानुसार होनेवाला सरल-सुगम अर्थ। Late ary99 JainEld e n
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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