SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 273
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८० Join सम्यग्ज्ञान रम्य पर्षदा जिनशासन के अमूल्य सिद्धान्तरूपी विरासत को अक्षुण्ण रखने की घर के प्रमुख सदस्य की जिम्मेदारी होती है, परन्तु आधुनिकता तथा पाश्चात्य संस्कृति में पलनेवाले बालकों के मानस पर पड़नेवाले दुष्प्रभाव के कारण प्रमुख सदस्यों की जिम्मेदारी गौण होने लगी है। इसके बावजूद भविष्य में जिनशासन के रक्षकरूप बालकों तथा युवकों को जैनधर्म के प्रति आकर्षित करने के लिए 'जैन पाठशाला' आदि संस्था की स्थापना की गई है। चतुर्विधश्रीसंघ में समाविष्ट तथा पूज्य साधुभगवन्तों-साध्वीजी भगवन्तों को गूढ़ रहस्य से भरे हुए जैन शास्त्रों का गहन अभ्यास कराने के लिए एवं मुमुक्षु श्रावक-श्राविकाएँ भी जैन तत्व का अभ्यास सरलता से कर सकें, इस हेतु से अपने जीवन का अमूल्य समय जैन तत्त्व का अभ्यास कराने में व्यतीत करनेवाले सूक्ष्म- तीक्ष्ण-विचक्षण बुद्धि से युक्त यदि कोई है तो श्रद्धालु अध्यापक शिक्षक-शिक्षिका हैं। जैनतत्त्व का अभ्यास कर, उसे अपनी अन्तरात्मा में स्थिर कर ज्ञानपिपासु श्रीसंघ में विनियोग करने में संपूर्ण जीवन समर्पित करने का महान् कार्य करनेवाले भी ये शिक्षक-शिक्षिका ही होते हैं । ट्रस्ट रजी. नं. / ३ / १६०९१९ / अहमदाबाद ये श्रद्धालु शिक्षक-शिक्षिका गृहस्थाश्रम में अनेक प्रकार की जिम्मेदारियों का वहन करते हैं । निर्धारित तथ मर्यादित आर्थिक उपार्जन के सहारे उनकी जीविका चलती है। अशुभ कर्मों के उदय के कारण कभी अस्वस्थता तो कभी असंभावी दुर्घटना आदि की सम्भावना बनी रहती है । सामाजिक स्तर होनेवाले प्रसंगों में कभी- कभी व्यावहारिक जिम्मेदारियाँ भी निभानी पड़ती हैं और इस हेतु से विशेष अर्थोपार्जन की आवश्यकता भी उत्पन्न होती है । इन परिस्थितियों में अपनी सीमित आय के कारण प्रायः आर्थिक परेशानियों का अनुभव होने के कारण अध्ययन अध्यापन की प्रवृत्ति में उत्साह की कमी की सम्भावना होती है । अतः उनके अध्यापन कार्य को सदा वेगवान तथ हर्षोल्लासपूर्वक आगे बढ़ाने के लिए 'सम्यग्ज्ञान रम्य पर्षदा' ने कुछ ऐसे ही आयोजन कर रखे हैं, इस पुनीत कार्य में सहयोग बनने का सौभाग्य भाग्यशाली व्यक्ति ही प्राप्त कर सकते हैं । अनायास आनेवाली अस्वस्थता, दुर्घटना, असाध्य बिमारी आदि आपत्ति के समय कुछ आर्थिक सहयोग के द्वा भक्ति तथा आर्थिक संकट में ब्याजरहित ऋण की व्यवस्था की गई है। वर्त्तमान में इस संस्था में लगभग ५०० (पाँच सौ) सदस्य हैं, विगत दो वर्षों में उन सदस्यों की अस्वस्थता आ विशेष परिस्थिति में लगभग १,५०,००० रुपयों की भक्ती की गई है। इसके अतिरिक्त अन्य सुन्दर कार्य भी चल रहे हैं कुछ सदस्यों को भक्ति के रूप में ब्याज रहित नगद रुपिये भी दिए गए हैं। इसके साथ-साथ 'सम्यग्ज्ञान रम्य पर्षदा' के द्वारा संचालित 'मोक्षपथ प्रकाशन' के द्वारा 'आवश्यक क्रिया साधन पुस्तक की प्रथम आवृत्ति ५००० प्रतियाँ (गुजराती) तथा द्वितीय आवृत्ति ५००० प्रतियाँ 'गुजराती' व ४००० प्रति हिन्दी के साथ-साथ जिनपूजा विधिप्रथम आवृत्ति १२,००० प्रतियाँ (गुजराती) तथा २००० प्रतियाँ (हिन्दी) का प्रकाशन किया गया है। इसके अतिरिक्त अनेक छोटी-बड़ी प्रवृत्तियाँ भी गतिशील रहती हैं। सम्पर्क स्थल : → ५०२, नालंदा ऐन्कलेव, सुदामा रीसोर्ट के सामने, प्रीतम नगर का पहेला ढाल, एलीसब्रीज, अहमदाबाद-६ (O) 079-26581521 E-mail: parshada 99@yahoo.com → जी- २, निर्मित एपार्टमेन्ट, जेठाभाई पार्क बस स्टैण्ड के पास, नारायणनगर रोड, पालडी, अहमदाबाद - ७. मो. 9825074889 लि. सम्य्याज्ञान रम्यपर्षदा एवम् मोक्ष पथ प्रकाशन ट्रस्टीग पंडितवर्य श्री चन्द्रकान्तभाई. अध्यापक श्री परेशकुमार जे. शाह, अहमदाबाद श्रेष्ठिवर्य श्री संजयभाई भरतभाई कोठारी, अहमदाबाद श्रेष्ठिवर्य श्री प्रदीपभाई कचराभाई शाह, अहमदाबाद श्रेष्ठिवर्य श्री मोहनभाई प्रभुलाल मालू, अहमदाबाद श्रेष्ठिवर्य श्री अरविंदभाई रमणलाल शाह, U.S.A. श्रेष्ठिवर्य श्री मितेशभाई चंद्रकांतभाई शेठ, कलकत्ता श्रेष्ठिवर्य श्री मोक्षभाई चंद्रकांतभाई शेठ, कलकत्ता hvate & Pamanan Only www.jaine
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy