________________
= स्त्री
= आर्त्त
अणपूंजे = प्रमार्जन किए बिना कलत्र
कर्कश = कठोर सम्यकत्व के विषय में
वांची = ठगी
= बकरा गोगो = नागदेव-सर्पपादर संभेडा = एक दूसरे को सच-झूठ
खादि लगे = प्रत्येक के लिए देवता = गाँव की देवी
समझाकर बरगलाना
आली = हरी विनायक ___ = गणेश
चतुर्थ स्वदारा संतोष
नवम सामायिक व्रत जूजूआ ____ = अलग-अलग अपरि-गृहीतागन = वेश्यागमन
दोहट्ट जीराउला = अन्यमति देव विशेष इत्वरपरिगृहीतागमन = अल्पकाल के लिए उजेहि __= शरीर पर प्रकाश पड़ना भरडा ____ = ब्रह्मांड
गृहीत स्त्री के आभड्या = स्पर्श किया लिंगिया ____ = वेषधारी
साथ मैथुन निरंतर = अनंतर दरवेश = फकीर घरघरणां = पुनर्लग्न
एकादश पौषधोपवास व्रत व्यामोह्या = बहलाना अनंगक्रीडा = सृष्टिविरुद्ध कर्म
बाहिरला = विसर्जन करने का स्थान, संवच्छरी = मृतक के नाम पर पंचम परिग्रह परिमाण
दिन में ही देखा वार्षिक भोजन वास्तु __= घर आदि इमारत
'अणुजाणह'= वे आज्ञा दें महासती =साध्वीजी भगवन्त
___= तांबा, पीतल आदि धातु 'जस्सुग्गहो' = जिसका अवग्रह हो महात्मा = साधु भगवन्त द्विपद = दास, दासी आदि
पोरिसि = रात्रि का प्रथम प्रहर भोगवांछित = भोग प्राप्ति हेतु पढ्यु = सम्भाला
असूरो = सूर्योदय के बाद खीण - = घाटी
षष्ठ दिग्परिणाम
सवेरो = सूर्योदय के पूर्व प्रथम स्थूल प्राणातिपात अनाभोगे = अनजाने में
द्वादश अतिथि संविभाग गाढ़ो = दुष्कर
पाठवणी = भेजने योग्य वस्तु असूझतुं = साधु के प्रयोग न घाव = प्रहार गामतरूं = दूसरे गाव जाना
करने योग्य घाल्यो = किया सप्तम भोगोपभोग परिमाण
= काल व्यतीत निलांछन = नाक-कान काटना __ = कुकली कच्ची
असूर = गोचरी का समय कर्म ____ = खसी करना ओदन = दही मिश्रित भात
बीतने के बाद तावडे सूर्योदय से पूर्व आम्बल बोर= खट्टे बैर
सीदातां __ = निर्धन साहता = पकड़ते हुए शीराव्या = सुबह का नाश्ता
= गरीब = जीव विशेष रांगण = रंगाने का कार्य
क्षीण = निर्बल लींख फोडी = लीख के दो लीहाला = कोयला
वीर्याचार संबंधि टुकड़े किया संधुक्या = सुलगाया
= इन्द्रियजन्य शक्ति निर्वंशपणुं = निर्दयता
अष्टम अनर्थ दंड-विरमण
वीर्य = आत्मिक शक्ति झील्या स्नान किया भक्तकथा = भोजन आश्रयी की कथा अन्यचित्त = शून्य चित्त द्वितीय स्थूल मृषावाद तांत = वात
नाणाइ अट्ठ गाथा अनर्थ = कष्ट में, नुकसानी में ऊखल __ = ओखली
ज्ञानादि आचार = ८४३ = थापणा मोसो= मूल रकम मुसल = मूसल
तपाचार
+६ = १२ गायब करना निसाह = दाल पीसने का सिलबट्टा बारव्रत = १२४५ = ६० गाळ दीधी = हाथ-पैर टूटना मेली = इकट्ठा करके
संलेषणा = १४५ = ५ ऐसा कहना मुखरपणा = वाचालता
सम्यक्त्व = १४५ = ५ तृतीय स्थूल अदत्तादान अंधोले __= पीठी छीलना
कर्मादान = ५४३ = १५ वहोरी =खरीद की खेल = श्लेष्म
वीर्याचार = १४३ = ३ संबल खुराक प्रेक्षाणक = क्रीडा
कुल
१२४ सरांस्यो = ठगा
कुवस्तु ___ = तुच्छ वस्तु
॥ इति श्री अतिचारसूत्र समाप्त ।।
टली
कुणी
दीन
उदेही
बल
Jan Education international
For Fute Personal use my
www.jainelibrary. 99