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सूत्र कंठस्थ करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
(१) पुस्तक को जमीन पर, कटासना अथवा पैरों पर न रखकर आशातना से बचने के लिए सापडा
पर ही रखें। पुस्तक को अध्ययन करते समय थूक-श्वासोश्वास से बचाने के लिए उसे अपने से १४ ईंच दूर रखें। सूत्रों की मूल गाथा के साथ अन्वय किए गए अक्षरों को ध्यान में रखकर याद करने से उन शब्दों का शुद्ध उच्चारण होगा। पुस्तक के पृष्ठ पलटते समय ज्ञानावरणीय कर्मबन्ध से बचने के लिए थूक लगाकर पृष्ठ नहीं पलटना चाहिए। पुस्तक का पठन पूर्ण होने पर उसे जहाँ-तहाँ रखने के बदले, उसे आदरपूर्वक योग्य स्थान पर रखना चाहिए। सम्यग् ज्ञान का अभ्यास प्रारम्भ करने से पूर्व ज्ञानपद के निमित्त पाँच खमासमणा देने से क्षयोपशम बढ़ता है। जो शब्द, जिस शब्द के साथ, जिस प्रकार बोलना आवश्यक हो, उसे उसी प्रकार बोलने का प्रयास करना चाहिए। ह्रस्व स्वर तथा दीर्घ स्वर को ध्यान में रखकर क्रमशः धीमे तथा ऊँचे स्वर में बोलना चाहिए। ऐसा नहीं करने से अर्थ का अनर्थ होने की सम्भावना रहती है। उदाहरण :- फरियाद-किसी
की शिकायत करना; फरी याद = पुनः स्मरण करना, दिन = दिवस; दीन = निर्धन... (९) सूत्र में जब '' अनुस्वार हो तथा वह पद के अन्त में हो, उस समय बोलते हुए नाक में से
आवाज आनी चाहिए तथा दोनों होंठ बंद रहने चाहिए । उदाहरण : करतां, हुं, साहूणं, गयायं,
वंदिऊं, आलोऊं, पडिक्कमिऊं इत्यादि शब्दों में अनुस्वार का ध्यान रखना चाहिए। (१०) सूत्रों में जब सन्धिवाले अक्षर आएँ, तब मूल शब्द लिखने के साथ-साथ कोष्ठक ( ) में भी वे
अक्षर बतलाए गए हैं, परन्तु उच्चारण करते समय मूल शब्द अथवा कोष्ठक में लिखे शब्दों को
ही बोलना चाहिए । उदाहरण :- (द्यो)। (११) (अ) सूत्रों में जब संयुक्ताक्षर आए, तब आधे अक्षर से पहलेवाले पूर्ण अक्षर के साथ जोड़कर
बोलने से ही शुद्ध उच्चारण होगा । उदाहरण : सिद्धाणं-सिद्धाणं, पच्+चक्+खामिपच्चक्खामि । (ब) जब दो आधे अक्षर एक साथ आए तब पहला आधा अक्षर उसके पहले वाले अक्षर के साथ तथा दूसरा आधा अक्षर उसके बादवाले अक्षर के साथ उच्चारण करने से शुद्ध उच्चारण
होगा । उदाहरण :- सम्यक्त्व -सम्यक्त्व। (१२) सूत्रों में जब पूर्ण अक्षर (स्वर सहित) आए तब उन्हें स्वर के साथ ही उच्चारण करना चाहिए।
उदाहरण:- एसो पंच नमुक्कारो-यहा 'पंच' न बोलकर 'पंच' बोलना चाहिए । 'सात लाख
पृथ्वीकाय' यह अशुद्ध है। 'पृथ्वीकाय' यह शुद्ध है। (१३)
सूत्र में जब अर्थ की पूर्णाहुति आए, तब थोड़ा रुकना चाहिए । तथा जब गाथा पूरी हो तो थोड़ा अधिक देर तक रुकना चाहिए। उदाहरण : नवकार मन्त्र में पद नौ तथा सम्पदा आठ हैं । आठवें तथा नौवें पद की अर्थ संकलना समान होने के कारण उन्हें एक साथ ही बोलना चाहिए।
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