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अतिचारों को क्रमबद्ध करने में शायद असुविधा हो सकती है, इसीलिए यहाँ राइअ-प्रतिक्रमण के अन्त में यह काउस्सग्ग करने का विधान है। प्रश्न ९. तप चिंतवणी काउस्सग्ग किस हेतु से किया जाता है ? दर्शनाचार, ज्ञानाचार व चारित्राचार की शुद्धि करने के बाद दिन से सम्बन्धित आहार- पानी का कितने अंशों में त्याग करने की सम्भावना है, वह अपने आत्मबल व तपाचार की विशेष शुद्धि के लिए यह काउस्सग्ग किया जाता है।
उत्तर :
प्रश्न १० इस तप चिंतवणी' का काउस्सग्ग किस तरह करना चाहिए ?
'तप चिंतवणी' का काउस्सग्ग भविष्यकाल ( भावना है), भूतकाल (शक्ति है) तथा वर्तमानकाल ( परिणाम है) को लक्ष्य में रखकर प्रभुजी की आज्ञा के अनुसार, इस पंचमकाल में यथासम्भव उत्कृष्ट (छह महिने के चउविहार उपवास) तप से जघन्य ( नवकारशी ) तप तक अपनी आत्मशक्ति को लक्ष्य में रखकर (बाह्यतप सम्बन्धी ) चिंतन करना चाहिए । उसकी उचित विधि निम्नलिखित है।
उत्तर :
प्रभु महावीर स्वामीजी ने उत्कृष्ट तप छह महीने का किया है, तो हे जीव ! तुम ऐसा कर सकोगे ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
एक दिन कम छह महीने का तप तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है ।
दो दिन कम छह महीने का तप तुम करोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
तीन दिन कम छह महीने का तप तुम करोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
इस प्रकार एक एक दिन कम छह महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। २९ दिन कम छह महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
पाँच महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ? १-२-३-४-५ दिन कम छह महीने को तप तुम कर सकोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। ६-७-८-९-१० दिन पाँच महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है । ११-१२-१३-१४-१५ दिन कम पांच महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ?भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। १६-१७-१८-१९-२० दिन कम पाँच महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है । २१-२२-२३-२४-२५ दिन कम पाँच महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ?भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। २६-२७-२८-२९-३० दिन कम पाँच महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
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चार महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
• यहाँ पाँच महीने के समान ५-५ दिन कम करते हुए विचार कर उत्तर दें ।
तीन महीने का तप तुम कर सकते हो क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
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दो महीने का तप तुम कर सकोगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
यहाँ एक एक दिन कम करके विचार करते हुए उत्तर दें कि (किसी भाग्यशाली ने भूतकाल में यदि ५०-४५ उपवास लगातार उपवास किया हो और यदि वह संख्या आए तो जवाब में भावना है, शक्ति है, परिणाम नहीं है, ऐसा कहना चाहिए । )
एक महीने ( मासक्षमण) का उपवास तुम कर सकते हो क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। • ( यहाँ से आगे बढ़ते हुए एक-एक उपवास कम करते हुए
१३ उपवास कम एक महीने के उपवास तक पहुँचना चाहिए | उनमें जिस भाग्यशाली को मासक्षमण आदि विशिष्ट तप हो उसे उस उपवास की संख्या आए तब 'भावना है, शक्ति है, परिणाम नहीं है' ऐसा उत्तर प्रत्येक में चिंतन कर काउस्सग्ग में ही आगे बढ़ना चाहिए । इस प्रकार का उत्तर ६ महीने के उपवास से लेकर पोरिसी पच्चक्खाण तक कहना चाहिए, परन्तु जब नवकारशी आए तब 'भावना है, शक्ति है, परिणाम है' ऐसा बोलकर काउस्सग्ग पारना चाहिए। जिस दिन जो पच्चक्खाण करने की इच्छा हो उस पच्चक्खाण तक तपचिंतन करते हुए पहुँचें हो तब तीनों उत्तर ' भावना है, शक्ति है, परिणाम है' में चिंतन कर काउस्सग्ग 'नमो अरिहंताणं' बोलते हुए पारना चाहिए ।
१३ दिन कम १ महीने का उपवास तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
चौतीस अब्भत्त (१६ उपवास) तुम कर सकेंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
बत्तीस अब्भत्त (१५ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। तीस अमत्त (१४ उपवास ) तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है ।
अट्ठाईस अब्मत्त (१३ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है।
छब्बीस अब्भत्तट्ठे (१२ उपवास) तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है । चौबीस अम्मत्त (११ उपवास) तुम कर सकेंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है । बाईस अब्भत्तट्टं (१० उपवास) तुम कर सकोंगे क्या ? भावना है, शक्ति नहीं है, परिणाम नहीं है। बीस अब्भत्तट्ठे (९ उपवास) तुम कर सकेंगे क्या ?
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