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६. आलोचना लेते समय, ७. पच्चक्खाण लेते रखता है, उसी प्रकार चारित्राचार की शुद्धि के समय और ८. अनसन करते समय गुरुवंदन किया
लिए दो लोगस्स के काउस्सग्ग के बाद प्रथम एक जाता है। यहाँ 'तस्स धम्मस्स...' के द्वारा अतिचार
लोगस्स का काउस्सग्ग दर्शनाचार की शुद्धि के का प्रतिक्रमण करने के बाद पू. गुरुभगवंत के
लिए किया जाता है । इसके लिए श्री ऋषभदेव प्रति हुए अपने अपराधों की क्षमापना के लिए
आदि चौबीस तीर्थंकरों के नाम स्मरण रूप श्री गुरुवंदन किया जाता है, अर्थात् पहले
लोगस्स सूत्र पूरा बोलकर 'सव्वलोए' के द्वारा (प्रतिक्रमण) तथा चौथे (अपराध क्षमापना) के
तीनों लोक में स्थित स्थापना जिन को वंदन करते कारण वांदणा दिया जाता है।
हुए काउस्सग्ग किया जाता है । दर्शनाचार की प्रश्न १८ 'अब्भुट्टिओ मि अभितर' गुरुवंदन के बाद दो
शुद्धि के बाद प्राप्त ज्ञान, सम्यग्ज्ञान के रूप में वांदणा किस हेतु से दिये जाते हैं?
परिणत हो, उसके लिए बाद के एक एक लोगस्स उत्तर: वंदन करने के आठ कारणों में से तीसरा
का काउस्सग्ग ज्ञानाचार की शुद्धि के लिए किया काउस्सग्ग करने के लिए दो वांदणा दिया जाता है
जाता है । यह काउस्सग्ग करने से पहले विहरमान
जिनभगवंतों की स्तुति, सम्यग्ज्ञान की स्तवना कर प्रश्न १९. श्री आयरिय-उवज्झाए सूत्र किस हेतु से बोला
श्रुतदेवता के स्मरण स्वरूप 'श्री पुक्खर वरजाता है?
द्दीवड़े' सूत्र आदि बोला जाता है। उत्तर: कषाय परिणति यदि बहुत भारी हो तो चारित्र का प्रश्न २३. तीनों काउस्सग्ग पूर्ण होने के बाद किस हेतु से पर्याय रस निकाले हुए ईक्षु के समान व्यर्थ हो
'सिद्धाणं-बुद्धाणं' सूत्र बोला जाता है? जाता है । अतः चारित्र की सफलता हेतु तथा उत्तर: उसमें सर्वकर्ममल से मुक्त श्री सिद्धभगवंतों का कषायों को शान्त करने के लिए यह सूत्र बोला
स्मरण करने के लिए 'श्री सिद्धाणं-बुद्धाणं' सूत्र जाता है।
बोला जाता है। श्री जिनेश्वरभगवंतों के वचन के प्रश्न २०. दो लोगस्स सूत्र का काउस्सग्ग किस हेतु से किया।
अनुसार समस्त सुविशुद्ध विधिपूर्वक क्रिया का जाता है?
अंतिमफल मोक्ष सुख की प्राप्ति है। उत्तर: श्रमण सूत्र अथवा वंदित्तु सूत्र में आए हुए प्रश्न २४ श्री श्रुतदेवता का काउस्सग्ग किसलिए किया चारित्राचार की अशुद्धि को दूर करने के लिए दो
जाता है? लोगस्स का काउस्सग्ग 'चंदेसु निम्मलयरा' तक उत्तर: समस्त धर्म क्रियाओं का आधार श्रुत है। अतः हमारे किया जाता है।
अन्दर श्रुतज्ञान की वृद्धि हो, इसलिए 'सुअदेवया प्रश्न २१. देवसिअ प्रतिक्रमण समाप्त होने के बाद 'करेमि ।
भगवई' की स्तुति के द्वारा श्रुतदेवता का भंते !' बोला जाता है तथा दूसरी बार श्री वंदित्तु
काउस्सग्ग किया जाता है। सूत्र के पहले बोला जाता है, तो फिर वापीस प्रश्न २५ श्री श्रुतदेवता-क्षेत्रदेवता-भवनदेवता का मात्र तीसरी बार यहाँ करेमि भंते !' किस हेतु से बोला
एक श्री नवकार महामंत्र का काउस्सग्ग क्यों जाता है ?
किया जाता है? उत्तरः समताभाव में रहकर की जानेवाली सारी उत्तरः सम्यग्दृष्टि युक्त देवता अल्प परिश्रम से सिद्ध धर्मक्रियाएँ सफल होती है, उस बात को बारम्बार
(प्रसन्न) होने के कारण आठ श्वासोच्छास प्रमाण याद कराने के लिए प्रतिक्रमण के प्रारम्भ में,
श्री नवकार महामंत्र का काउस्सग्ग किया जाता है। मध्य में तथा अन्त में तीन बार करेमि भंते !' सूत्र प्रश्न २६ श्री श्रुतज्ञान की वृद्धि हेतु 'श्रुत' को स्मरण करने बोला जाता है।
के बदले 'श्रुतदेवता' को किस हेतु से स्मरण प्रश्न २२ दो लोगस्स के काउस्सग्ग के बाद एक-एक
किया जाता है? लोगस्स का काउस्सग्ग किस हेतु से किया जाता उत्तर : श्री द्वादशांगी के अधिष्ठायक सम्यग्दृष्टि श्रुतदेवता
का स्मरण करने से ज्ञानावरणीय कर्म का उत्तर: जिस प्रकार कतक का चूर्ण गंदे पानी को शुद्ध
क्षयोपशम प्रगट होता है, इसीलिए श्रुतदेवता का करता है तथा जिस प्रकार अंजन आंख को साफ
स्मरण किया जाता है।
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