________________
२८. श्री इच्छामि ठामि सूत्र
प्रतिक्रमण दौरान बोलते सुनते समय की मुद्रा।
विषय: आदान नाम : श्री इच्छामि ठामि सूत्र गौण नाम : अतिचार आलोचन सूत्र
| श्रावक धर्म संबंधित गुरु-अक्षर : २९
१२ व्रतों में लगे हुए | लघु-अक्षर : १३८
अतिचारों की क्षमा सर्व अक्षर : १६७
याचना।
मूल सूत्र इच्छामि ठामि काउस्सग्गं जो मे, देवसिओ (राइओ) अइआरो कओ काइओ, वाइओ, माणसिओ
उच्चारण में सहायक इच-छामि ठामि काउस्-सग्-गम् जो मे देव-सिओ (रा-इओ)अइ-आरो-कओ काइ-ओ वाइ-ओ, माण-सिओ
पद क्रमानुसारी अर्थ मैं कायोत्सर्ग में स्थिर होना चाहता हूँ। मेरे द्वारा दिन में/रात्रि में जो अतिचार हुआ हो काया द्वारा, वाणी द्वारा, मन द्वारा,
उस्सुत्तो, उम्मग्गो उस्-सुत्-तो, उम्-मग-गो उसूत्र (सूत्र केविरुद्ध) कहने से, उमार्ग में (मार्ग के विरुद्ध)चलने से. अकप्पो, अकरणिज्जो अ-कप्-पो, अ-कर-णिज्-जो अकल्पनीय (आचार के विरुद्ध) वर्तन करने से,
अकरणीय (अयोग्य) कार्य करने से, दुज्झाओ, दुव्विचिंतिओ दुज्-झाओ, दुव्-वि-चिन्-तिओ दुष्ट ध्यान ( आर्त या रौद्र ध्यान ) करने से, दुष्ट चिंतन करने से, अणायारो, अणिच्छिअव्वो अणा-यारो, अणिच्-छिअव्-वो अनाचार(न आचारने योग्य आचरण) करने से,
अनिच्छित (मन से न चाहने योग्य) वर्तन करने से असावगपाउग्गो असा-वग-पाउग्-गो
श्रावक के योग्य व्यवहार से विरुद्ध आचरण करने से,
यह अतिचार किस में लगा हो? नाणे, दंसणे नाणे, दन्-स-णे
ज्ञान संबंधी, दर्शन संबंधी चरित्ताचरित्ते चरित्-ता-चरित्-ते
देश-विरति चारित्र संबंधी सुए,सामाइए सुए, सामा-इए
श्रुत ज्ञान संबंधी, दर्शन संबंधी तिण्हं गुत्तीणं तिण-हम् गुत्-ती-णम्
तीन गुप्तियों संबंधी चउण्हं कसायाणं चउण्-हम्-कसा-याणम्
चार कषाय संबंधी पंचण्ह-मणुव्वयाणं
पञ् (पन्)-चण्-ह-म-णु-वया-णम् । पांच अणुव्रत में तिण्हं गुणव्वयाणं तिण्-हम् गुणव-वया-णम्
तीन गुणव्रत में चउण्हं सिक्खावयाणं चउण्-हम् सिक्-खा-वया-णम्
चार शिक्षाव्रत में बारसविहस्स सावग-धम्मस्स बारस-विहस-स-साव-ग-धम्-मस-स । बारह प्रकार के (व्रत रूपी) श्रावक धर्म में
लगे हुए अतिचार की भाव- पूर्वक क्षमा याचना जं खंडिअंजं विराहि जम्-खण्-डि-अम् जम् विरा-हि-अम् जो खंडना हुई हो, जो विराधना हुई हो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। तस्-स मिच्-छा मि दुक्-क-डम् । मेरे वे दुष्कृत्य मिथ्या हो।
१५२ Manduction
Formate resonar use.com